रायपुर. भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार अपने कार्यकाल का तीसरा साल पूरा कर लिया है. इन तीन सालों में देश के सामने विकास का एक अभिनव छत्तीसगढ़ मॉडल सामने आया. छत्तीसगढ़ मॉडल पिछले कई मॉडलों से अभिनव इसलिए है कि इसके पहले जो मॉडल सामने लाए गए वह समग्र विकास के नहीं थे, उन मॉडलों में विषय विशेष के विकास की बातें थी. छत्तीसगढ़ मॉडल राज्य के हर नागरिक के सर्वांगीण विकास की बात करता है. छत्तीसगढ़ मॉडल में सिर्फ बड़ी अट्टालिकायें और बड़े-बड़े कांक्रीट के जंगलों को बसाने को विकास का पैमाना नहीं माना गया.

छत्तीसगढ़ मॉडल में राज्य के आम आदमी के सशक्तीकरण उनके आर्थिक उन्नति के योजनायें बनाई गई. उद्योग व्यापार और खेती किसानी के विकास के बराबर की योजनाएं समान रूप से छत्तीसगढ़ मॉडल में है. इस मॉडल में उद्योगों को सिंगल विंडो की सुविधाएं देने के साथ ही किसानों का कर्जा माफ किया गया. साथ ही उनकी ऊपज की भरपूर कीमत देने का भी इंतजाम किया गया.

राजीव गांधी किसान न्याय योजना में किसानों को इनपुट सब्सिडी देकर उनके आर्थिक उन्नति के द्वार खोले गए. साथ ही भूमिहीन किसानों के भी समृद्धि का अवसर दिया जा रहा है. गोधन न्याय योजना के गोबर जैसी वस्तु से भी आम आदमी के आर्थिक आत्मनिर्भरता के रास्ते विकास के नए छत्तीसगढ़ मॉडल में ही संभव है. कोरोना काल में जब देश भर के मजदूर अपनी रोजी रोटी छोड़कर जान बचाने अपने घरों को पैदल वापस जा रहे थे तब भूपेश बघेल के छत्तीसगढ़ मॉडल में एक दिन में 28 लाख तक मजदूरों को मनरेगा में रोजगार दिया गया.

अपने तीन साल के कार्यकाल में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र के वायदों को पूरा करने जिस तन्मयता और मनोवेग से प्रभावी कदम उठाया है वह देश की अन्य सरकारों के लिए नजीर है. यह भी विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल में ही संभव है. अमूमन देखने में आता है कि राजनैतिक दल चुनावों में जनता का मत लेने अपने घोषणा पत्र में लोक लुभावने वादे करते हैं, लेकिन सरकार में आने के बाद उनकी प्राथमिकता में घोषणा पत्र के वायदे पीछे छूट जाते हैं.

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार इससे अलग अपने चुनावी घोषणा पत्र के हर वायदे को पूरा करने कार्ययोजना बना चुकी है. कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र के 36 प्रमुख वायदों में से 30 से अधिक वायदों को पूरा कर चुकी है. तीन साल के कार्यकाल में सरकार ने आधा समय कोरोना महामारी से निपटने में लगाया उसके बावजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस सरकार की अपने वायादों को पूरा करने की प्रतिबद्धता ही है कि पांच साल के लिए किए गए 36 वादों में 30 वादों को सरकार ने पूरा कर दिखाया और अन्य महत्वपूर्ण वादों को पूरा करने के लिए कार्यवाहियां शुरू की जा चुकी हैं. हिंदी मीडियम माध्यम के 171 विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तन और शासकीय खर्च पर अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई छत्तीसगढ़ मॉडल का नया सफल शोध है.

किसानों का कर्जा माफ किया, 2500 रुपए में धान की खरीदी की गई, किसानों का जल कर माफ किया. 5 डिसमिल से कम जमीनों की बंद रजिस्ट्री शुरू की गई. लोहंडीगुड़ा में किसानों की जमीने वापस, राजीव गांधी किसान न्याय योजना में धान, मक्का, गन्ना, कोदो, कुटकी, दहलन, तिलहन, फलदार वृक्ष एवं सब्जी उत्पादक किसानों को प्रतिवर्ष सहायता, भूमिहीन कृषि मजदूरों की आय सुनिश्चित करने न्याय योजना शुरू, तेंदूपत्ता संग्राहकों का मानदेय बढ़ाया, युवाओं को सरकारी नौकरी के द्वारा खोले गए शिक्षकों प्राध्यापकों सहित विभिन्न विभागों में सीधी भर्ती शुरू, आउट सोर्सिंग बंद किया गया, गोधन न्याय योजना से गोवंश संरक्षण, नरवा, गरवा, घुरवा, बारी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था सिंचाई के साधन सुदृढ़ करने का काम, बस्तर में बायोटेक किसान हब की स्थापना, डेयरी विकास के मद में 530 डेयरी स्थापित किया.

कृषक जीवन ज्योति में निःशुल्क विद्युत 5 हार्स पावर तक, 7 से बढ़ाकर 31 लघु वनोपज का समर्थन मूल्य में खरीदी, जनजाति विकास के लिये पृथक सचिवालय स्थापित, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की स्थापना, खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सेवा योजना के तहत 20 लाख तक इलाज की सुविधा, गांव, मोहल्लों, शहरी स्लम में घर-घर तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने का वायदा पूरा, आंगनबाड़ी, मध्यान्ह भोजन रसोईयों के वेतन में वृद्धि का वायदा पूरा, औद्योगिक विकास के वायदे को पूरा करने भूमि की दरों में 30 प्रतिशत की कमी सिंगल विंडों की स्थापना की गयी, 400 यूनिट तक बिजली बिल आधा किया गया, शिक्षाकर्मियों का 2 वर्ष पूर्ण होने पर संविलियन किया गया, कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण के लिये हर ब्लाकों में फूड पार्क के लिये जमीन आवंटित, कोण्डागांव, सिंगारभाट में कार्य प्रगति पर। 14580 शिक्षकों की भर्तियां कर सरकारी नौकरी में युवाओं के लिये द्वार खोले.

सरकार में बैठने के पहले घंटे से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वादा निभाने की जो शुरूआत किसानों के कर्जमाफी और 2500 में धान खरीदी से शुरू किया वह आज तक जारी है. लोहंडीगुड़ा के आदिवासी किसानों ने कभी कल्पना भी नहीं किया होगा कि उनकी अधिग्रहित जमीनें जिसका कि उनको मुआवजा भी मिल चुका था वह जमीनें फिर से उनको वापस मिल सकती है. यह विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल में ही संभव है, इसीलिए कांग्रेस नेतृत्व भी विकास के विश्वसनीय छत्तीसगढ़ मॉडल को पूरे देश के सामने प्रस्तुत कर रहा है.