लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की विशेषताओं के संदर्भ में अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का प्रसिद्ध वाक्य “Of the people, By the people, For the people” हैं. भारतीय संविधान निर्माताओं ने भी इसी को आधार माना कि लोकतंत्र का उद्देश्य “जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए ” है. यानी हमारी सभी व्यवस्थाओं का आधार जनता है. जनता के द्वारा का अर्थ है कि जनता के वोट से जन प्रतिनिधियों का चयन होगा एवं चयनित जनप्रतिनिधि शासक के सूत्र सम्हाल कर नीति बनाते हुए जनता के कल्याण के लिए कार्य करेंगे. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि जनता केवल वोट देने तक ही सीमित रहेगी. जनता देश के विकास में सक्रिय योगदान दे, वह सही जनप्रतिनिधियों का चयन करें, इसके लिए वह स्वार्थी न हो, क्षुद्र वृतियों से दूर रहे अर्थात निस्वार्थ, राष्ट्रभक्त, शिक्षित एवं संस्कारित हों. जनता में भविष्य के लिए श्रेष्ठ भारत बनाने का स्वप्न एवं संकल्प रहना आवश्यक है. यह कार्य उचित शिक्षा, नैतिक संस्थान एवं जन नेताओं के श्रेष्ठ आचरण के द्वारा होना संभव है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने समाज में यह संकल्प जगाने के लिए स्वयं का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है. विकास में सामान्य जन की सहभागिता मोदी जी की अनुकरणीय पहल है. भारत भविष्य में विश्व में श्रेष्ठ होगा यह विश्वास भारतीय जनमानस में जागृत हुआ है.
स्वयं का उदाहरण
भारतीय जनसंघ (भारतीय जनता पार्टी) के तत्व दृष्टा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी से जब यह प्रश्न पूछा गया कि आप राजनीति में क्यों है तब उनका उत्तर था कि “ नेता शब्द की विकृत हुई छवि के स्थान पर नेता शब्द की सही छवि स्थापित करने के लिए.”
राजनीतिक नेतृत्व के स्वार्थपूर्ण, विभाजित दृष्टि एवं वोट प्राप्ति के लिए गिरते व्यवहार के कारण समाज में नेताओं के प्रति अनास्था का वातावरण बना है. जो नेतृत्व समस्याओं के समाधान का माध्यम होने चाहिए था, जनता उन्हें ही समस्या मानने लगी. गुजरात के मुख्यमंत्री और 2014 के बाद देश के प्रधानमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने अपना उदाहरण जिस प्रकार से प्रस्तुत किया उससे जनता को लगने लगा कि यह व्यक्ति ही हमारी आकांक्षा पूर्ति का माध्यम हो सकता हैA कठोर परिश्रम, पारदर्शी छवि, प्रत्येक संकट में सदैव अग्रसर एवं आवश्यकता पड़ने पर कठोर निर्णय यह सभी विशेषताएं मोदी को शेष में कुछ विशेष बनाती हैं. बिना सुरक्षा घेरे के लाल किले का संबोधन उनकी निर्भीकता के साथ-साथ जनता में भी निर्भयता का वातावरण तैयार करता है. मेट्रो ट्रेन में सामान्य नागरिक के समान यात्रा, बच्चों के साथ घुलना मिलना एवं नागरिकों से संवाद उनकी सहजता एवं सादगी को दर्शाता है. भ्रष्टाचार पर कठोर प्रहार ने भ्रष्टाचारियों में भय एवं गरीबों में एक विश्वास का वातावरण तैयार किया है. इसी का उदाहरण हमें कोरोना काल में देखने को मिला कि जब दुनिया के देश अपने यहां कर्फ्यू का पालन कराने के लिए अर्धसैनिक बलों का सहारा ले रहे थे, तब प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शन पर एक आह्वान मात्र से भारत में स्वतः स्फूर्त जनता कर्फ्यू लगा एवं घंटे, खडियाल, बर्तन एवं शंखनाद आदि के माध्यम से एकजुटता और प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपना विश्वास व्यक्त किया. भारतीय वैज्ञानिको द्वारा निर्मित मेड इन इंडिया वैक्सीन के प्रति जब हमारे देश के विरोधी दलों के नेता भ्रम फैला रहे थे, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं वैक्सीन लेकर भ्रम को दूर करने का कार्य किया. जिसका परिणाम है कि अब भारत 200 करोड़ से भी अधिक वैक्सीनेशन वाला देश बन गया है और हम निर्भय होकर कोरोना के संकट से बाहर आ गए हैं.
समस्या समाधान एवं विकास में जनसहभागिता
जनता केवल वोट तक सीमित न रहे उसका विकास एवं समस्याओं के समाधान में सक्रिय सहभाग होने से ही हम आगे बढ़ सकते हैं. इस तथ्य को प्रधानमंत्री मोदी ने अच्छी प्रकार समझा. उनके भाषणों में आया प्रसिद्ध वाक्य 130 करोड़ भारतवासी जब एक कदम आगे बढ़ाते हैं तब भारत 130 करोड़ कदम आगे बढ़ता है उनकी जनता में गहरी आस्था को प्रकट करता है. स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, नमामि गंगे, कोरोना काल का सेवा कार्य, पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण की प्रेरणा एवं अभियान, तालाबों की सफाई, वैक्सीनेशन में जनसहभागिता, टीबी मुक्त भारत के लिए “एक रोगी-एक पालक” योजना आदि के माध्यम से उन्होंने समाज में कर्तव्य बोध जगाने में सफलता प्राप्त की है. स्वयं भी इन कार्यो के प्रेरणा के लिए वह समुद्र किनारे कूड़ा- करकट उठाते, हाथ में झाड़ू लेकर सफाई करते दिखाई देते हैं.
भारतीय वैज्ञानिकों में प्रेरणा का परिणाम हुआ कि हम अपनी वैक्सीन बनाने में सफल हुए. दीपावली के दिन सैनिकों के मध्य उपस्थित होकर प्रेरणा देने का परिणाम हुआ कि प्रत्येक सैनिक सीमा पर साहस के साथ खड़ा है. उद्योग जगत प्रेरित होने का परिणाम हुआ कि हम पीपी किट एवं वेंटीलेटर बनाने में अग्रणी हो गये. आत्मनिर्भर संकल्प का परिणाम हुआ कि हम दुनिया में अर्थव्यवस्था में पांचवें पायदान पर आ गए. मेक इन इंडिया एवं मेक फॉर वर्ल्ड पॉलिसी का परिणाम हुआ कि अब हम सुरक्षा क्षेत्र में भी निर्यात वाले देश हो गए. अब महिला, उद्योग जगत, किसान, मजदूर, सैनिक, शिक्षक, युवा, गरीब, पिछड़े सभी को लगता है कि मोदी ही हमारी आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम बनेंगे. इस कारण समाज का प्रत्येक वर्ग देश के विकास में सहायक हो रहा है. लाल किले की प्राचीर से उनका आह्वान कि हमारी पॉलिसी, प्रोसेस एवं प्रोडक्ट उत्तम से उत्तम हो सभी वर्गों के लिए प्रेरक शब्द है.
एक भारत श्रेष्ठ भारत की जन अनुभूति
प्रसिद्ध जननेता संपूर्ण क्रांति के महानायक जयप्रकाश नारायण ने कहा कि जब तक जनता में समुचित नैतिकता एवं आध्यात्मिक गुण विकसित नहीं होते तब तक सर्वोत्तम संविधान व राजनीतिक प्रणालियां भी लोकतंत्र को सफल नहीं बना सकतीA.”
उपरोक्त का विचार यदि हम करते हैं तब मोदी ने अपने व्यवहार के द्वारा समाज में इन गुणों के विकास का प्रयास किया. संविधान एवं संसद की सीढ़ियों को मस्तक झुका कर प्रणाम, योग विद्या का संवर्धन, आध्यात्मिक एवं धार्मिक स्थानों पर अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए उपस्थिति, समाज में नैतिकता एवं आध्यात्मिकता विकसित करती है. “बंधुत्व” भाव जागरण के लिए हम एक देश के वासी 130 करोड़ भारतीयों का आह्वान, उच्च स्वर में सर्वत्र भारत मां की जय का उद्घोष, सामाज में देशभक्ति एवं बंधुत्व भाव जागृत करता है. नई शिक्षा नीति भी नैतिक गुणों के विकास का माध्यम बनेगी. लाल किले से उनका आह्वान गुलामी की मानसिकता के सभी प्रतीकों को समाप्त करना है, समाज में एक नए स्वाभिमान को जागृत करेगा. प्रधानमंत्री आवास 7 R.C.R अब लोक कल्याण मार्ग हो गया है. राजपथ कर्तव्य पथ के नाम से विभूषित हुआ है. इन सभी का परिणाम है कि भारतीय जनमानस संकुचित भावो से ऊपर उठकर स्वाभिमान के साथ खड़ा हो रहा है.
भविष्य के लिए जन संकल्प
जब जनता के सम्मुख कोई लक्ष्य रहता है तब सामान्य जनता में भी असामान्य कतृत्व प्रकट होता है. समाज के सभी वर्गों एवं भगौलिक क्षेत्रों से स्वतंत्रता के आंदोलन में सक्रियता इसी का उदाहरण है. दुनिया के देश भी इसी संकल्प शक्ति से आगे बढे हैं. आजादी के अमृत महोत्सव में तिरंगा यात्रा में यह संकल्प पुनः प्रकट हुआ. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आर्थिक क्षेत्र में हमारी अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन करने का लक्ष्य रखा है. देश इस संकल्प को लेकर आगे बढ़ता दिख रहा है.
जब हम देश की स्वतंत्रता के 100 वर्षों का महोत्सव मना रहे होंगे तब हमारा देश कैसा होगा यह स्वप्न देश की जनता देख रही है. 25 वर्षों के अमृतकाल का उपयोग अपने देश को गौरवशाली देश बनाने के लिए हो, यह संकल्प जनता में जागृत होना चाहिए. गरीबी से मुक्त आर्थिक संपन्न, शिक्षा में अग्रणी, सुरक्षित, समरस, सांस्कृतिक क्षेत्र में विश्व का सही पथ का दर्शन कराने वाला भारत हम बनाएंगे यही संकल्प होना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता में यह संकल्प जगाने के लिए प्रयासरत हैं, परिश्रम की पराकाष्ठा भी कर रहे है. हमारा एवं उनका संकल्प एक बने इसकी आवश्यकता है. परमात्मा उनको सुदीर्घ आयु प्रदान करें, जन्मदिवस पर यही प्रार्थना है .
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