
लखनऊ. प्रदेश सरकार की स्थानीय उत्पादों को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (One District One Product) योजना के तहतनई पहचान मिली है. उत्तर प्रदेश की मशहूर कलाकृति गेहूं के डंठल से बनी कलाकृति उत्पाद को देश-विदेश में पहुंच रही है. युवाओं की इस परंपरागत उद्योग के प्रति रूचि इसे नया बाजार उपलब्ध करा रही है. गेहूं के डंठल की कलाकृतियां बनाने के उद्योग को पंख लग चुके हैं. आज ऑनलाइन से लेकर रिटेल बाजार में खूबसूरत कलाकृतियों को लोग पसंद कर रहे हैं. अब अनेक जिलों में लोगों को गेहूं के डंठल से कलाकृति बनाने का प्रशिक्षण स्थानीय कलाकर दे रहे हैं. देश के अलग-अलग स्थानों पर लगने वाली प्रदर्शनी में कलाकृतियों को सराहा पहले से ही मिलती आ रही है. लेकिन सरकार के सपोर्ट ने इसे नई पहचान दिला दी है.
इस कलाकृति के हुनरमंदों मोहल्ला नाजिरपुरा, मोहम्मद यूनुस और उनकी पत्नी सादिका गेहूं के डंठल से कलाकृति को गढ़ने में पारंगत हैं. डंठल से वे कलाकृतियों को जीवंत स्वरूप देते हैं. उन्हें इस अकल्पनीय हुनर के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके है. वे तीन दशक से गेहूं के डंठल से कलाकृति बना रहे है. लेकिन बाजार की अनुपलब्धता के कारण कलाकृतियों को बेहतर खरीदार नहीं मिल रहे हैं.

20 हजार में बिकी थी कलाकृति
यूनुस गेहूं के डंठल से ताज महल, लाल किला, संसद भवन, अक्षरधाम मंदिर, भगवान श्रीकृष्ण, शिव समेत अन्य कई कलाकृतियां बना चुके है. घर पर ही सेंटर चलाकर दूसरों को भी हुनरमंद बना रहे हैं.
अब खेतों में किसान नहीं जलाएंगे डंठल
गेहूं के डंठल की कलाकृतियां को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने इसे उत्पाद के रूप में चयनित किया है. जिससे अब गेहूं के डंठल का बेहतर उपयोग होगा. अभी तक गेहूं के डंठल को किसान खेतों में जला देते थे, लेकिन कला के रूप में डंठल की मांग बढऩे पर किसान उसे सहेजेंगे, इससे खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी. किसानों को भी लाभ होगा। साथ ही बहराइच की कला देश-विदेश में पहचान पाएगी.
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