विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शराब नीति के मामले में केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की अनुमति प्रवर्तन निदेशालय(ED) को दी है. इस महीने की शुरुआत में ED ने एलजी से अनुमति मांगी थी. केंद्रीय निकाय को शराब नीति बनाने और लागू करने में कथित भ्रष्टाचार का पता चला, जिसकी जांच के लिए उसने अनुमति मांगी थी. 17 मई को ED ने राउज एवेन्यू कोर्ट में दायर प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट संख्या 7 में इसका उल्लेख किया था, जो 9 जुलाई को कोर्ट ने शिकायत स्वीकार की.
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क्या है ED की शिकायत
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, ED ने अभियोजन शिकायत में आरोप लगाया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक ‘टेलर-मेड’ शराब नीति बनाई और लागू करके निजी संस्थाओं को गैरकानूनी लाभ दिया. इस नीति में साउथ ग्रुप को कई शराब की दुकानों में हिस्सेदारी दी गई और आबकारी नीति 2021-22 आबकारी नीति 2021-22 के उद्देश्यों के खिलाफ बहुत सारे रीटेल जोन रखने की अनुमति दी गई है.
केजरीवाल हैं जिम्मेदार
ईडी ने शिकायत में यह भी कहा कि केजरीवाल, राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के कारण, गोवा चुनावों में अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये पार्टी के प्रचार में खर्च किए गए. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थे.
AAP ने क्या कहा
आप कहते हैं कि 250 से अधिक छापे मारे गए लेकिन एक भी पैसा नहीं मिला, लेकिन बीजेपी का मकसद केजरीवाल को बदनाम करना है. पार्टी ने कहा, ‘तथाकथित शराब घोटाले की जांच 2 साल तक चली, 500 लोगों को परेशान किया गया, 50,000 पन्नों के दस्तावेज दाखिल किए गए और 250 से अधिक छापे मारे गए, लेकिन एक भी पैसा नहीं मिला.’ विभिन्न अदालती आदेशों ने मामले में कई खामियां उजागर की हैं. भाजपा का असली लक्ष्य आप और अरविंद केजरीवाल को किसी भी तरह से कुचलना है.
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