रायपुर। विधानसभा में अनुपूरक बजट पर चर्चा शुरू हुई. बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि जब मुख्यमंत्री भाषण देते हैं तो अक्सर कहते हैं कि मुझे 41 हज़ार करोड़ का क़र्ज़ पिछली सरकार से मिला है. ये कर्ज अजीत जोगी और रमन सरकार के कुल 18 साल के कार्यकाल का कर्ज है,  लेकिन इन दो सालों में 20 हज़ार करोड़ से ज़्यादा का क़र्ज़ सरकार ने ले लिया. सरकार पूंछ दिखाकर घोड़ा बेच रही है.

अजय चंद्राकर ने कहा कि 2386 करोड़ का बजट आया है, उसमें से 22 सौ करोड़ एक्सपींडिचर बजट है. 260 करोड़ की राशि ब्याज भुगतान के लिए रखा है, जो पूँजीगत व्यय से अधिक है. पिछला जो अनुपूरक बजट लाया गया था वह पूरा मरवाही के लिए था. इस बजट में मरवाही के लिए सिर्फ़ एक सड़क रखी गई है. 34 सड़क बेमेतरा जिले के लिए और 24 सड़क दुर्ग जिले के लिए कुछ सड़क दूसरे ज़िलों के सड़क के लिए प्रावधान रखा गया है.

उन्होंने कहा कि कोविड के लिए सिर्फ 13 करोड़ रखे गए हैं. ये देश की पहली सरकार है जो कोविड में हुई मृत्यु का घोटाला करती है. जिलों के आकंड़े कुछ और राज्य के आंकड़े कुछ और हैं. तीन अरब रुपए से ज्यादा कोविड सेस के नाम से वसूले गए, लेकिन अब तक ये पैसे स्वास्थ्य विभाग को नहीं दिए गए. छत्तीसगढ़ी की बात बार-बार सरकार करती है आख़िर छत्तीसगढ़िया की परिभाषा क्या है? आज ये जानना ज़रूरी है क्योंकि ये राज्य में अब राजनीति का मुद्दा बन गया है. आप अपनी असफलता के लिए भावनात्मक राजनीति का सहारा लेते है.

अजय चंद्राकर ने कहा कि धान सड़ने का आँकड़ा इसी सदन में एक ही दिन में अलग-अलग दी जाती है. क़रीब तेरह सौ करोड़ रुपए का धान ख़राब हुआ है. ये लोक क्षति है. धान ख़रीदी को लेकर जनवरी तक सिर्फ़ 32 दिन ही किसानों को मिलेंगे. सरकार क्या ये घोषणा करेगी कि जितने किसानों का टोकन कटेगा तय वक़्त के बाद भी उनसे धान ख़रीदी की जाएगी. मुख्यमंत्री का बयान पर राजनीतिक विवाद होगा ही. मुख्यमंत्री ये कहे कि वह इस्तीफ़ा देंगे तो इससे राजनीतिक अस्थिरता पैदा होगी.

भाजपा सदस्य ने कहा कि कोविड का नया स्ट्रेन आया और शेयर बाज़ार गिर गया. ऐसा ही असर होता है. कुशभाऊ ठाकरे विश्वविधायलय को चार महीने से सरकार ने अनुदान नहीं दिया क्योंकि इसके नाम बदलने का बिल पेंडिंग है. रूस के राष्ट्रपति, उनके रिश्तेदार, करीबी दोस्त के ख़िलाफ़ कभी कोई क़ानूनी करवाई नहीं होगी ऐसा क़ानून लाया गया है, छत्तीसगढ़ में भी ऐसा क़ानून बना दीजिए.

उन्होंने कहा कि गाजर-मूली की तरह छत्तीसगढ़ में लोग काटे जा रहे हैं, उठाईगिरी, बलात्कार जैसी घटनायें बढ़ गई है. एक वेलफ़ेयर स्टेट की अवधारणा में लोगों की जानमाल की भी रक्षा शामिल है, लेकिन छत्तीसगढ़ में सरकार फेल रही. तत्कालीन सीएस छत्तीस बार बूढ़ातालाब देखने गए थे. नगर निवेश के बाक़ी विषयों में कोई रुझान नहीं. डल झील से ज़्यादा ख़ूबसूरत हो जाना था.