रायपुर। विधानसभा के विशेष सत्र में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पेश किया. इस दौरान चौबे ने कहा कि मंडियों और किसानों को लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही है. हम अध्यादेश से कानून बना सकते थे, लेकिन मौजूदा हालात देखकर हम यह कानून लेकर आ रहे है.

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि केंद्र सरकार क्या देश की मंडियों को वालमार्ट बनाकर अडानी-अम्बानी को देना चाहती है? अम्बानी-अडानी जब बाजार का उतार चढ़ाव तय करेंगे तो किसान कहाँ जाएंगे. ये हमारी नैतिक जिम्मेदारी दी है, यह हमारा लोकतांत्रिक दायित्व है कि हम अपनी सीमा में रहकर कानून बनाये. उन्होंने कहा कि हम केंद्र के कानून का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं. यह कानून किसानों की मदद के लिए है. इस वक़्त देश की निगाहे छत्तीसगढ़ की ओर है. लोग देख रहे हैं कि छत्तीसगढ़ कैसा कानून बना रहा है. केंद्र के इस कानून का आधार आर्थिक रूप से है, जबकि हमारा आधार किसानों की हितों का संरक्षण है.

उन्होंने कहा कि हम 7 संशोधन लाये हैं. डीम्ड मंडी को हमने इस कानून में परिभाषित किया है. खण्ड 3 में हुए संशोधन में हमने यह कहा है कि निजी मंडियों को डीम्ड मंडी घोषित किया जाएगा. बाहर से आने वाले अनाज को लेकर नए कानून में प्रावधान है. राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी को मंडी की जांच का अधिकार दिया गया है. निरीक्षण में जब्ती का अधिकार दिया गया है. अधिकारियों को भंडारण की तलाशी का अधिकार होगा. वाद दायर करने का अधिकार मंडी समिति और अधिकारियों को होगा. धारा 49 में न्यायालय के अधिकार को परिभाषित किया गया है.

मंत्री ने स्पष्ट किया कि कोई भी संशोधन केंद्र के कानून के खिलाफ नहीं है. राज्य सरकार अपने संवैधानिक दायरे में रहते हुए ये कानून लेकर आई है. राज्य के किसानों को इसका सीधा लाभ होगा. हम चाहते है कि इस कानून से हमारी मंडियां मजबूत हो सके, किसानों के उत्पाद को सही दाम मिल सके. छत्तीसगढ़ में धान खरीदी किसानों के हित में किया जाने वाला सबसे बड़ा कार्य है. केंद्र की चिट्ठी आई है कि राजीव न्याय योजना बोनस का विकल्प है क्या?

विधेयक पर चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने कहा कि कानून में संशोधन विशुद्ध तरीके से यह कांग्रेस सरकार का राजनीतिक एजेन्डा है. यह कानून लाया जाना पूरी तरह से असंवैधानिक है. संविधान में यह स्पष्ट है कि ऐसा कानून जिसे केंद्र बना चुका है, उस पर राज्य सरकार किसी तरह का कानून नहीं बना सकता. कानून बनाये जाने के बाद जब तक राष्ट्रपति की अनुमति नहीं मिल जाती तब तक वह प्रभावी नहीं होगा. ऐसा कानून राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए जाएगा.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इतनी मेहनत करने और घण्टों बैठने की जरूरत ही नहीं है. यह कानून मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा. केंद्र के कानून में स्पष्ट है कि किसान मंडी के बाहर भी अपनी उपज बेच सकते है. उन्हें मंडी शुल्क नहीं लगेगा. मैं पूछता हूँ कि लिमिट के बाद का धान कहाँ बिकता है? केंद्र के कानून में किसान व्यापारी के साथ अग्रीमेंट कर सकता है, लेकिन यह मेंडेटरी नहीं है. यदि किसान नहीं चाहेगा तो कोई एग्रीमेंट नहीं कर सकता. कांग्रेस के घोषणा पत्र के पेज नम्बर 17 से 21 तक में यह वादा था कि कृषि उपज मंडी समितियों के अधिनियम में संशोधन करेगी, जिसमें अंतरराज्यीय व्यापार के प्रतिबंध समाप्त हो जाए. कांग्रेस भ्रांति फैला रही है.

डॉ. सिंह ने कहा कि जो देश में वातावरण बनाया गया है कि एमएसपी बन्द हो जाएगी तो ऐसा नहीं है. एमएसपी पर खरीदी जारी रहेगी. किसानों को अपनी उपज में पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी. किसानों के हितेषी बनने के लिए पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सरकार हल्ला कर रही है. 2004 से 2014 तक केंद्र में यूपीए सरकार थी. कृषि मंत्रालय का बजट सिर्फ 12 हजार करोड़ था. मोदी सरकार के आने के बाद यह बजट 1 लाख 64 हजार करोड़ हो गया है. पीएम किसान योजना के जरिये किसानों की आय सहायता योजना शुरू की गई. इसके तहत 92 हजार करोड़ रुपये किसानों के खाते में पहुँच चुके है. किसानों की ऋण की सीमा बढ़ाई गई.

उन्होंने आरोप लगाया कि यूपीए की दस साल तक सरकार रही. स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट कचरे के डिब्बे में पड़ा रहा. मनमोहन सरकार सिर्फ इसे देखती रही. मोदी सरकार ने न सिर्फ इसे लागू किया बल्कि किसानों की बेहतरी के लिए काम किया. कहने की बात अलग है, क्रियान्वयन की बात अलग है. विशेष सत्र बुलाकर जो चर्चा हो रही है, उससे किसानों को लग रहा है कि यहां बड़ी घोषणा हो सकती है. जगह-जगह से किसानों के फोन आ रहे हैं. बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि इस कानून में नया क्या है. डीम्ड मंडी का जिक्र है, इसमें नया क्या है. ये ऑलरेडी मौजूद है. सरकार जैसा चाहे वैसा घोषित कर सकती है, सरकार के पास पहले से पावर है. ये सरकार अज्ञात भय से ग्रसित है.