रायपुर। विधानसभा में सत्र का पहला दिन धान खरीदी पर उबल गया है. खरीदी का मुद्दा उठते ही सदन में जकमर हंगामा हो गया. विपक्षी सदस्यों ने सरकार की जमकर घेराबंदी कर दी. बीजेपी के साथ जनता कांग्रेस के विधायकों ने भी मोर्चा संभाला और सरकार पर नारेबाजी के साथ टूट पड़े. नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक तो कठोर टिप्पणी करते हुए यहाँ तक कह गए कि मंत्री इतने उद्दंड हो गए हैं कि स्पीकर की व्यवस्था के बाद भी टिप्पणी कर रहे हैं.

दरअसला सदन में धान खरीदी मामले में विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग की. स्थगन बीजेपी और जेसीसी की ओर से लाया गया था. सबसे पहले बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि किसान परेशान है. प्रदेश में हाहाकार मचा है. किसानों का धाम जाम हो गया है. किसान चक्काजाम करने को मजबूर हो रहे हैं. किसानों खस्ताहाल के सरकार जिम्मेदार है. किसानों के समर्थन में जीतने वाली सरकार किसानों को बर्बाद करने पर तुली है. धान की जब्ती बनाई जा रही है. किसान बाहर धान बेचने को विवश हो रहे हैं.

जेसीसी विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि सरकार किसानों से धान लेने में हाफ गई है. धान खरीदी को लेकर सरकार का कोई स्पष्ट आदेश अब तक जारी नहीं हुआ है. बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि सरकार किसानों के साथ छल कर रही है. विपक्ष के इन आरोपों के साथ सदन का महौल गरमा गया और हंगामा खड़ा हो गया है. विपक्षी सदस्यों ने जमकर नारेबाजी शुरू कर दी.

हंगामे के बीच सहकारिता मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि शासन की तरफ से निर्णय लिया गया है कि धान खरीदी एक दिसम्बर से 15 फरवरी तक की जाएगी. बीजेपी ने सहकारिता मंत्री के जवाब देने पर आपत्ति जताई. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि हमने स्थगन की सूचना में किसानों की बदहाली का जिक्र किया है, ऐसे में सहकारिता मंत्री कैसे जवाब दे रहे हैं?

स्पीकर ने कहा कि सदन में मुख्यमंत्री बैठे हैं. ये सरकार का संयुक्त जवाब है. इसे सुना जाना चाहिए. विपक्ष ने इस पर आपत्ति की.
धर्मजीत सिंह ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री कहते तो यह बात साफ होती कि सरकार की ओर से बात सामने आ रही है. तभी नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा- मंत्री इतने उद्दंड हो गए हैं कि स्पीकर की व्यवस्था के बाद भी टिप्पणी कर रहे हैं.  बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्पीकर निर्देश दे रहे हैं, और उसे भी मंत्री मान नहीं रहे हैं. अपनी सीट पर बैठे-बैठे हंस रहे हैं.
हमने स्थगन प्रस्ताव किसानों की बदहाल हालत हो लेकर दिया है. धान खरीदी को लेकर दिया है. यह एक नीतिगत विषय है, जिसमें सरकार को निर्णय लेना था. सरकार के निर्णय नहीं लेने के हालातों के चलते किसानों की बदहाली हुई है.

संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि- स्थगन में छह अलग-अलग पैरा में छह विभागों का जिक्र आया है. सरकार आपके हर प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार है. छह विभागो को जोड़कर आपने स्थगन लगाया है, हम जवाब दे रहे हैं तो कम से कम जवाब सुन तो लें.