कुशीनगर. उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर भले बड़ी-बड़ी बाते करती हो, लेकिन जनपद में पूर्व माध्यमिक विद्यालयों की स्थिति कुछ और है. जमीन धरातल पर शिक्षा व्यवस्था दम तोड़ते नजर आ रही है. सरकारी तंत्र के दावे बड़े-बड़े है, लेकिन बच्चों का भविष्य अंधकार में दिखाई दे रहा है. कहीं स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर हो गई है तो कही टीचर की कमी है.

धरातल की तस्वीरों पर नजर डालें तो स्कूलाें की स्थिति बद से बदतर दिखाई दे रही है. कई स्कूलों में केवल एक ही शिक्षक है. एक शिक्षक के भरोसे तीन-तीन क्लास संचालित हो रही है. इसके बाद भी शिक्षकों के मोबाइल में शिक्षा विभाग से जुड़े इतने एप डाउनलोड करा दिए हैं कि शिक्षक का आधा समय उसी में बीत जा रहा है. वह तीन-तीन क्लास में कैसे पढ़ायेंगे. जितनी ही शिक्षा व्यवस्था को लेकर मोबाइल से मानरीटिंग की जा रही उतनी ही शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता गिरती जा रही हैं. जब हमने इसकी पड़ताल की तो जनपद के हाटा नगरपालिका में स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय जिसमें एक ही शिक्षक तीन-तीन क्लास चलाते मिले. उनका कहना है कि शिक्षकों के अभाव में यहां अब बच्चो की संख्या लगातार कम हो रही हैं.

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वहीं हाटा विकास खंड में दर्जनों इस तरह के विद्यालय हैं, जिसमें एक ही शिक्षक के भरोसे तीन-तीन क्लास चल रहें हैं. वहीं पूर्व माध्यमिक विद्यालय सोमाली कछुहिया है, जहां जर्जर भवन टूटे छः महीने से अधिक हो गए. वहां भवन ही नहीं बन सके, जिससे पेड़ के नीचे पढ़ने पर बच्चे मजबुर हैं. अब कब तक भवन बनेगा इसकी कोई उम्मीद नहीं हैं. जब इस खबर को एक बार प्रकाशित किया गया तो विभाग अपनी कमी छुपाने के लिए विद्यालय में कार्यरत शिक्षक पर ही नोटिस जारी कर जबाब मांगने लगा. यही किस्सा है उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. शिक्षक से यह कहा गया कि गेट का ताला अंदर से लगा के रखे. इससे कोई पूछने नहीं आएगा.

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जब इस सकूल पर हमारी टीम गई तो कार्यरत शिक्षक हाथ खड़ा कर लिए. उन्होंने कहा कि अगर कोई फोटो खिचेंगे तो हमारे ऊपर विभागीय अधिकारियों द्वारा कार्रवाई कर दी जाएगी. वहीं जब कसया विकास खंड के पूर्व माध्यमिक विद्यालय भैसहा पर गए तो ग्रामीणों ने बताया कि यह स्कूल शिक्षक के अभाव में एक वर्ष बंद पड़ा हुआ है. जिसके चलते यहां के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन करा लिए और विद्यालय गेट पर ताला लगा हुआ है. वहीं स्कूल एक वर्ष से बंद होने के चलते विद्यालय में बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं और इसके चलते स्कूल भवन खंडहर में तब्दील हो रहा है. इस तरह के जनपद अधिकतर परिषदीय विद्यालय हैं या तो शिक्षक के अभाव में बंद पड़े हैं या वहां एक ही शिक्षक के भरोसे विधालय संचालित हो रहे हैं. सरकार के दावे और जमीनी धरातल की तस्वीरों पर नजर डालें तो शिक्षा व्यवस्था कुशीनगर में जमीनी धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है.

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