धमतरी। सीखने और आगे बढ़ने की ललक हो, तो कोई मुश्किल रोड़ा नहीं बन सकती. इसकी जीती-जागती मिसाल है धमतरी शहर के बनियापारा, मोटर स्टैण्ड वॉर्ड के शासकीय उचित मूल्य दुकान में सेल्समेन के तौर पर पिछले 15 सालों से काम कर रहीं गोविन्दी बाई खापर्डे. 63 साल की उम्र में आज गोविन्दी बाई देश भर में डिजिटल साक्षरता में प्रदेश और जिले का नाम रौशन कर चुकी हैं.
केन्द्रीय इलेक्ट्रिॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 23 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित पांचवें ’ग्लोबल कॉन्फ्रेंस ऑन साईबरस्पेस’ में गोविन्दी बाई ने डिजिटल साक्षरता में प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया, जहां श्रीलंका के प्रधानमंत्री सहित 125 देश के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बता दें कि इस सम्मेलन का उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था.
नवीन महिला बहुउद्देशीय सहकारी समिति की सदस्य गोविन्दी बाई मैट्रिक पास हैं और शहर के बनियापारा के राशन दुकान में सेल्समेन के पद पर कार्यरत हैं. वे बताती हैं कि जून 2015 में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा एण्ड टू एण्ड कम्प्यूटराईजेशन कार्यक्रम के तहत् उचित मूल्य दुकानों में टेबलेट के जरिए राशन का वितरण और बाकी महत्वपूर्व कार्य करने का निर्णय लेने के बाद शहर की सभी राशन दुकानों के सेल्समेन को डिजिटल साक्षर किया जा रहा था.
चूंकि गोविन्दी बाई 60 से अधिक उम्र की थीं, तो इन्हें डिजिटल साक्षरता का प्रशिक्षण लेने पर भी प्रमाण पत्र नहीं मिलता. बावजूद इसके वे अपने शौक और जज्बे से कम्प्यूटर का बेसिक प्रशिक्षण च्वाईस सेंटर से लीं, जिसमें उन्हें ई-मेल खोलने, गूगल में सर्च करने इत्यादि का तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया.
उन्होंने कम्प्यूटर की आधारभूत प्रशिक्षण लेने के दौरान उन्हें कक्षा नवमीं की पढ़ाई के दौरान सीखी गई इंग्लिश टायपिंग की कोचिंग का फायदा मिला. अब वे अपने कार्य को बेहतर तरीके से अंजाम दे रहीं हैं. आज वे राशन दुकान में टेबलेट का संचालन कर लेती हैं और हितग्राहियों का राशनकार्ड नंबर, नाम, खाद्य विभाग की ऑनलाईन एंट्री के अलावा घोषण पत्र भी ऑनलाईन भर लेती हैं.
वे चहकते हुए बताती हैं कि पांचवें ’ग्लोबल कॉन्फ्रेंस ऑन साईबरस्पेस’ में भाग लेना उनके जीवन का यादगार लम्हा है. जहां केन्द्रीय कानून एवं न्याय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद प्रतिनिधियों की भीड़ में से उनके पास तक पहुंचकर ना केवल उनके साथ फोटो खिंचवाए, बल्कि उम्र के इस पड़ाव में डिजिटल साक्षर होने पर उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की और उन्हें बाकी लोगों के लिए एक आदर्श भी माना। श्रीमती गोविन्दी का मानना है कि अगर इंसान ठान ले तो मंजिल तक का सफर आसान हो जाता है.