रायपुर। छत्तीसगढ़ में राज्योत्सव के तीसरे दिन मुख्यमंत्री ने भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को बड़ी खुशख़बरी दी. मुख्यमंत्री ने बरसो  बरसों पुरानी प्रदेशवासियों की मांग को पूरा करते हुए करते आज साईंस कॉलेज मैदान में आयोजित राज्योत्सव में डॉ. नरेंद्र देव वर्मा द्वारा रचित प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गीत “अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार” को प्रदेश का राजगीत घोषित किया. इस राजगीत को राज्य शासन द्वारा आयोजित महत्वपूर्ण शासकीय कार्यक्रम और आयोजनों के शुभारंभ में बजाया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने की घोषणा, देखिये वीडियो-

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बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. नरेन्द्रदेव वर्मा

(साहित्यकार एवं भाषाविद) डॉ. नरेन्द्रदेव वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा व साहित्य का उद्विकास में रविशंकर विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. की एवं छत्तीसगढ़ी भाषा व साहित्य में कालक्रमानुसार विकास का महान कार्य किया. ये कवि नाटककार, उपन्यासकार, कथाकार, समीक्षक एवं भाषाविद थे. इनका छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह ‘अपूर्वा’ है. इसके अलावा सुबह की तलाश (हिन्दी उपन्यास), छत्तीसगढ़ी भाषा का उद्विकास, हिन्दी स्वछंदवाद प्रयोगवादी, नयी कविता सिद्धांत एवं सृजन, हिन्दी नव स्वछंदवाद आदि प्रकाशित ग्रंथ हैं. इनका ‘मोला गुरू बनई लेते’ छत्तीसगढ़ प्रहसन अत्यन्त लोकप्रिय हुआ.

डॉ. नरेन्द्रदेव वर्मा का जन्म सेवाग्राम, वर्धा में 4 नवंबर 1939 में हुआ था और 8 सितम्बर 1979 को वे रायपुर में दिवंगत हुये. उन्होंने सागर विश्वविद्यालय से सन् 1962 में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा वहीं से सन् 1966 में प्रयोगवादी काव्य और साहित्यचिन्तन’ शोध-प्रबन्ध के निमित्त पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की. सन् 1973 में उन्होंने भाषा विज्ञान में एम.ए. की दूसरी परीक्षा पास की तथा सन् 1973 में छत्तीसगढ़ी भाषा का उद्विकास’ शोध-प्रबन्ध के आधार पर उन्हें भाषा विज्ञान में पी-एच.डी. की उपाधि प्रदान की गयी.

डॉ. नरेन्द्र वर्मा रचित यह है पूरा गीत

अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
(अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)

अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां
(महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)

सोहय बिंदिया सही, घाट डोंगरी पहार
(सोहय बिंदिया सही, घाट डोंगरी पहार)
चंदा सुरूज बने तोरे नैना
सोनहा धान अइसे अंग, लुगरा हरियर हे रंग
(सोनहा धाने के अंग, लुगरा हरियर हे रंग)
तोर बोली हवे जइसे मैना
अंचरा तोर डोलावय पुरवईया
(महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)

सरगुजा हे सुग्घर, तोरे मउर मुकुट
(सरगुजा हे सुग्घर, जईसे मउर मुकुट)
रायगढ़ बिलासपुर बने तोरे बञहा
रयपुर कनिहा सही, घाते सुग्गर फबय
(रयपुर कनिहा सही, घाते सुग्गर फबय)
दुरूग बस्तर बने पैजनियाँ
नांदगांव नवा करधनियाँ
(महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)

अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पइयां
महूं विनती करव तोरे भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
(अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पइयां
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)