‘ऑस्ट्रेलियन सर्वाइवर’ (Australian Survivor) के पूर्व प्रतिभागी व ट्रैवल व्लॉगर जेडन लैंग हाल ही में गाज़ीपुर (दिल्ली) स्थित ‘कूड़े का पहाड़’ देखने पहुंचे थे। खुद को ‘ऑस्ट्रेलिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली व्यक्ति’ बताने वाले लैंग का ‘कूड़े का पहाड़ देखने का रिऐक्शन वायरल हो रहा है। वीडियो में लैंग ‘मुझे उल्टी आ रही है… बदबू सीधे नाक में घुस रही हैं’ कहते दिखे। बता दें कि, लैंग बड़ी जोश में कूड़े का हेर देखने गाज़ीपुर स्थित कूड़े का पहाड़ देखने पहुंचे थे लेकिन यहाँ की बदबू ने उनके प्राण पखेरू कर दिए जिसके बाद वो उलटे पांव भागते हुए दिखाई दिए।

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दिल्ली एमसीडी चुनावों में एक अहम मुद्दा है कूड़े का पहाड़
बता दें कि, इस बार के दिल्ली एमसीडी चुनावों में एक अहम मुद्दा दिल्ली में बने तीन कूड़े के पहाड़ हैं। गाजीपुर, भलस्वा के अलावा ओखला में बने इन कूड़े के पहाड़ों पर अक्सर एमसीडी की सत्ता में काबिज़ बीजेपी और दिल्ली सरकार चला रही आम आदमी पार्टी के बीच जमकर राजनैतिक छींटाकशी होती रहती है।
ओखला के कूड़े के पहाड़ को दक्षिणी दिल्ली के नीले आसमान में काले धब्बे के तौर पर भी देखा जा सकता है। ये कूड़े का पहाड़ न सिर्फ जानलेवा बीमारियों का घर है बल्कि इससे निकलने वाली जहरीली गैसें भी हवा में घुलकर पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचान रही हैं। बरसात में कूड़े के रिसने से यहां का ग्राउंड वॉटर भी प्रभावित हो रहा है। ओखला में ये कूड़े का पहाड़ तकरीबन 50 मीटर ऊंचा है और इस वक्त यहां करीब 30 हजार मीट्रिक टन कूड़ा जमा है, जो यहां रहने वाले वाले लोगों के लिए जान की आफत बना हुआ है।

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लैंडफिल साइट से करीब 2 किलोमीटर दूर विश्वकर्मा कॉलोनी में रहने वाले समर खान की छत से ये कूड़े का पहाड़ साफ नज़र आता है। उनके मुताबिक इससे सबसे बड़ी समस्या बदबू की है, जो यहां रह रहे लोगों के नाक में हर वक्त दम किए हुए है। तेज़ हवा या बारिशमें इतनी दुर्गंध होती है कि न आप घर में रह सकते हैं और न बाहर। समर कहते हैं, “बारिश के मौसम में लोग यहां ज्यादा बीमार पड़ते हैं, गले में इंफेक्शन हो जाता है। इसके अलावा सांस लेने में भी थोड़ी दिक्कत महसूस होती है। इसलिए हम चाहते हैं कि कूड़े का ये पहाड़, जो यहां रहने वाले हर एक के लिए मुसीबत का पहाड़ है, यहां से जल्द से जल्द हट जाए।”
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टाइमलाइन से बहुत पीछे है कूड़े का ही निस्तारण
गौर करें कि जनवरी 2021 में एनजीटी में हुई सुनवाई के दौरान एमसीडी ने कूड़े का पूरी तरह निस्तारण करने की टाइमलाइन तय की थी। इसके मुताबिक ओखला साइट से दिसंबर 2021 तक 25 प्रतिशत, सितंबर 2022 तक 50 प्रतिशत और मार्च 2023 तक 100 प्रतिशत कूड़ा हटाने का निर्देश है। लेकिन मार्च 2022 की रिपोर्ट बताती है कि ओखला लैंडफिल साइट से अभी तक केवल 23.63 प्रतिशत कूड़े का ही निस्तारण हो पाया है।
इससे पहले साल 2018 में इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल करंट वर्ल्ड एनवायरनमेंट में दिल्ली में भलस्वा, गाजीपुर और ओखला लैंडफिलसाइट के आसपास रहने वाले लोगों पर एक सर्वे प्रकाशित हुआ। इसमें सामने आया कि तीनों लैंडफिल साइट के आसपास रहने वालेलोगों की औसत लंबाई और वजन घट गया है। इनकी हाइट कम और वजन सामान्य से 9 किलोग्राम से कम पाया गया। सर्वे केमुताबिक, लैंडफिल साइट के आसपास का पानी जहरीला हो गया है। इस पानी को 15 साल पीने पर कैंसर हो सकता है।
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