Avanse Financial IPO: एवांस फाइनेंशियल सर्विसेज, जो एजुकेशन लोन देने वाली कंपनी है, अब राइट्स इश्यू के जरिए 1,374 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है. यह रकम कंपनी अपने मौजूदा शेयरहोल्डर्स से जुटाएगी, जिनमें वारबर्ग पिंकस, केदारा कैपिटल और मुबाडाला शामिल हैं.

इस मामले से जुड़े दो लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी है. बताया गया कि ग्लोबल अनिश्चितताओं के चलते कंपनी ने हाल ही में अपना IPO प्लान वापस ले लिया था. इसका असर विदेशी शिक्षा के लिए लिए जाने वाले लोन की मांग पर पड़ा है.

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Avanse Financial IPO
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एजुकेशन लोन में दूसरी सबसे बड़ी NBFC

एवांस फाइनेंशियल सर्विसेज एजुकेशन लोन देने वाली दूसरी सबसे बड़ी NBFC है. यह खास तौर पर विदेशी शिक्षा लोन सेगमेंट में काम करती है. कंपनी के बोर्ड ने 17 दिसंबर को हुई बैठक में राइट्स इश्यू के जरिए फंड जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.

सूत्रों के मुताबिक, IPO से फंड जुटाने की योजना रद्द करने के बाद कंपनी ने राइट्स इश्यू का रास्ता चुना है.

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क्यों वापस लिया IPO प्लान?

एवांस फाइनेंशियल ने विदेश में पढ़ाई से जुड़ी अनिश्चितताओं, खासकर अमेरिका में पढ़ाई को लेकर बढ़ी दिक्कतों के चलते अपना IPO प्लान रद्द किया. अमेरिका भारतीय छात्रों के लिए विदेश में पढ़ाई का सबसे बड़ा गंतव्य माना जाता है. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त वीजा नीतियों के कारण वहां पढ़ने जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में कमी आई है.

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IPO से 1,000 करोड़ रुपये जुटाने की थी योजना

कंपनी IPO के जरिए नए शेयर जारी कर 1,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती थी. इसके अलावा प्राइवेट इक्विटी शेयरहोल्डर्स वारबर्ग पिंकस, इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन और केदारा कैपिटल करीब 2,500 करोड़ रुपये के शेयर बेचने की तैयारी में थे.

वारबर्ग पिंकस एवांस फाइनेंशियल का सबसे बड़ा शेयरहोल्डर है, जिसके पास कंपनी की 59 प्रतिशत हिस्सेदारी है. IFC, केदारा और मुबाडाला के पास करीब 10-10 प्रतिशत हिस्सेदारी है. वहीं एवेंडस फ्यूचर्स लीडर्स फंड के पास 1.12 प्रतिशत हिस्सेदारी है. यह जानकारी जुलाई 2024 में दाखिल किए गए ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस पर आधारित है.

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SEBI से मिल चुकी थी मंजूरी

कंपनी के IPO को अक्टूबर 2024 में SEBI से मंजूरी मिल चुकी थी. हालांकि अब IPO लॉन्च करने की समयसीमा खत्म हो चुकी है. नियमों के मुताबिक, किसी भी कंपनी को SEBI की मंजूरी मिलने के 12 महीनों के भीतर IPO लॉन्च करना होता है. अगर ऐसा नहीं होता है, तो कंपनी को दोबारा नया ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस SEBI में जमा करना पड़ता है.

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