लखनऊ। एक ओर दुनिया भर में नए साल की तैयारियां की जा रही है। जगह-जगह रंग रोगन और विभिन्न प्रकार के आयोजन कराए जा रहे हैं। लोग अपने दोस्तों और परिजनों के साथ घूमने की योजना बना रहे है। वहीं दूसरी ओर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नए साल का कड़ा विरोध किया। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने देश के लोगों को भारतीय कैलेंडर विक्रम संवत के हिसाब से नव वर्ष मनाने की हिदायत दी।
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लोगों को अपनी जड़ों से किया जा रहा दूर
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि लोगों को अपनी जड़ों से दूर किया जा रहा है। अब आप समझिए की न हमारी माता अंग्रेज, न हमारे पिता अंग्रेज और न ही किसी अंग्रेज से हमारा कोई नाता है लेकिन हम अंग्रेजी तारीख में नया वर्ष मना रहे हैं। इसका कोई मतलब तो बनता नहीं है। उन्होंने कहा कि हमने अंग्रेजों को अपने देश से आजादी की लड़ाई लड़के बाहर निकाला। जब अंग्रेज चले गए तो उनकी अंग्रेजी भी उनके साथ जानी चाहिए थी। हम उनको भगाते तो है पर उनकी तारीख को अपने यहां रख लेते हैं।
विक्रम संवत के हिसाब से नव वर्ष मनाए
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि हमारा विक्रम संवत तो हम इसी से अपना पर्व त्योहार सुनिश्चित करते है। विक्रम संवत के अनुसार ही हम लोग अपना नव वर्ष मनाते है। अब सबको कह दिया है कि मुसलमान अपना हिजरी संवत छोड़ दें, हिंदू अपना विक्रम संवत छोड़ दें और सब लोग ईसाइयों का ग्रेगोरियन कैलेंडर माने लें। इसका मतलब है कि ईसाइयों कि ओर से, अंग्रेजी बोलने वालों की ओर से हमारे ऊपर षड़यंत्र है कि आप अपना छोड़ों और हमारा वाला अपना लो लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि ये नहीं चलेगा।
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हम भारतीय कैलेंडर को लेकर आनंदित
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि उनकी गणना उतनी परिपक्व नहीं है, जितनी हमारी विक्रम संवत की है। हमारा जो काल व्यवस्थापन है वो उत्तम है और उसी में हमें रहना चाहिए। हम तो सालों पहले से अंग्रेजी तारीखों में व्यवहार करना छोड़ चुके हैं। यहां तक कि भारत के जो दो पर्व होते है, स्वतंत्रता तिथि और गणतंत्र वाले उनको भी हम अपने भारत की तिथि में मनाते है। हम अपने भारतीय कैलेंडर को लेकर आनंदित है। हम बहुत समय से इस बात को उठा रहे है लेकिन कुछ लोग नहीं चाहते की भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार हो।
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