नई दिल्ली। अयोध्या विवाद मामले पर सुनवाई 17 अक्टूबर के बजाए 16 अक्टूबर को ही समाप्त होने की संभावना है. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इसके संकेत देते हुए कहा कि 70 साल पुराने विवाद पर बहस बुधवार को समाप्त हो जाएगी. आज सुप्रीम कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से अपनी-अपनी आखिरी दलील रखी जाएगी, जिसके बाद अयोध्या मामले में फैसले की उम्मीद बढ़ जाएगी.

सुनवाई के आखिरी दिन प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन से कहा कि एक घंटा उन्हें मिलेगा और एक घंटा मुस्लिम पक्ष को दिया जाएगा. भोजनावाकाश के बाद की सुनवाई में 45-45 मिनट शेष पांच पक्षों को दिए जाएंगे.

बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होने जा रहे हैं, ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि वह इस तारीख से पहले अयोध्या मामले में फैसला सुना सकते हैं. अगर बहस खत्म होती है तो 17 नवंबर तक करीब एक महीना ही बचेगा, ऐसे में इस मामले में फैसले की उम्मीद बढ़ सकती है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा इस मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ में जस्टिस एस.ए. बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए नज़ीर भी शामिल हैं.

अयोध्या ज़मीन विवाद क्या है?

ये विवाद उत्तर प्रदेश के अयोध्या ज़िले में ज़मीन के एक टुकड़े से संबंधित है. हिंदुओं की धारणा के अनुसार जिस जगह बाबरी मस्जिद थी वो हिंदू देवता राम का जन्मस्थान है. मामले में ये तय किया जाना है कि क्या पहले वहां कोई हिंदू मंदिर था जिसे तोड़कर या संरचना बदल कर उसे मस्जिद का रूप दिया गया था.छह दिसम्बर 1992 के बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था. इसके बाद ज़मीन पर स्वामित्व विवाद से संबंधित एक मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर किया गया. इस मामले में हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 30 सितम्बर 2010 को 2.77 एकड़ की ज़मीन पर अपना फ़ैसला सुनाया. फ़ैसले के अनुसार ज़मीन एक तिहाई हिस्सा राम लला को जाएगा जिसका प्रतिनिधित्व हिंदू महासभा कर रही है, दूसरा एक तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को और बाकी एक तिहाई निर्मोही अखाड़ा को दिया जाएगा.