रायपुर. एक तरफ जहां दीपावली पर हर तरफ पटाखों का शोर है. तो वहीं राजधानी रायपुर के भावना नगर कॉलोनी में रेसिडेंशियल सोसाइटी साईं सिमरन की एक रंगोली चर्चा का विषय बनी हुई है. इस त्योहर को दीयों की रोशनी से मनाने का संदेश दिया जा रहा है.

सीए की पढ़ाई कर रही 20 वर्षीय आयुषी बोधवानी ने अलादीन का चिराग कांसेप्ट पर इस रंगोली को 3 घंटे में तैयार किया है. इसमें दिखाया गया है कि दीए के अंदर से एक महिला बाहर निकलती है और दीया जलाती है. ठीक उसी तरह से जैसे अलादीन के चिराग से अलादीन बाहर निकलता है.

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इस रंगोली का एक कॉन्सेप्ट ये है कि हमारी भारतीय परंपरा में किसी भी त्योहार में रोशनी के लिए, उजियारे के लिए दीया जलाकर उत्सव मनाते हैं. दीयों की रोशनी के बिना दीपावली भी अधूरी सी रहती है. इसीलिए एक महिला और दीए को इसमें दिखाया गया है.

इस बारे में बात करते हुए आयुषी बोधवानी ने बताया कि मैंने रंगोली में एक महिला को दिखाने के बारे में सोचा था. थोड़ा और सोचने पर मुझे लगा कि कोई अलादीन का चिराग जैसा कुछ इसमें हो, जो कोरोना महामारी से पैदा हुई हमारी परेशानियों को अपने साथ ले जाए और अचानक इस रंगोली का कांसेप्ट बना. इसमें एक अलादीन का चिराग जैसे दीए से एक महिला निकलती है, जिसके हाथ में एक दीया है. कोरोना महामारी की वजह से हमारे आसपास पनपते मायूसी भरे माहौल को दूर करने के लिए ‘उम्मीद का एक दीया’ हर किसी के हाथ में होना चाहिए. ऐसा संदेश भी इस रंगोली से निकलकर आता है.

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भले ही आधुनिकता के चलन में दीयों का स्थान रंग-बिरंगी झालरों ने ले लिया हो. तेज आवाज वाले पटाखे ही दीपावली की पहचान बन गए हो लेकिन इसके बावजूद दीयों का क्रेज आज भी कम नहीं हुआ है.