बाबरी विध्वंस केस में सभी आरोपियों को कोर्ट ने आज बरी कर दिया है. लेकिन आपको ये शायद नहीं पता होगा कि जिस जज ने ये फैसला सुनाया वे 1 साल पहले रिटायर हो चुके है. पढ़े पूरी खबर, कि आज उन्होंने फिर कैसे सुनाया ये फैसला.
बाबरी विध्वंस 1992 में हुआ था. इससे दो साल पहले 8 जून 1990 को ही इस केस का फैसला सुनाने वाले जज सुरेंद्र कुमार यादव ने बतौर मुनसिफ अपनी न्यायिक सेवा की शुरुआत की थी. सुरेंद्र कुमार यादव की पहली नियुक्ति अयोध्या में हुई थी और 1993 तक वो यहां रहे थे. यानी अयोध्या में जब बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था, उस वक्त सुरेंद्र कुमार यादव की पोस्टिंग वहीं थी और आज वो मौका आया है जब उन्होंने इस बड़े केस पर बतौर सीबीआई विशेष कोर्ट जज फैसला सुनाया है.
लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. ये फैसला बाबरी मस्जिद विध्वंस केस से जुड़ा है जिसे 6 दिसंबर 1992 को गिराया गया था. सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने 28 साल पुराने इस केस में फैसला सुनाया है और सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है.
इस केस के 32 आरोपियों पर फैसला लिखने के साथ ही सुरेंद्र कुमार यादव अपने कार्यकाल से भी मुक्त हो गए हैं. आज यानी 30 सितंबर ही सुरेंद्र कुमार यादव के रिटायरमेंट का दिन है. उनके पास शाम 5 बजे तक का ही वक्त है.
हालांकि, सुरेंद्र यादव का कार्यकाल एक साल पहले ही पूरा हो गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस केस की सुनवाई पूरी करने और इस पर फैसला सुनाने के मकसद से उन्हें एक साल का विस्तार दे दिया था. उनके रिटायरमेंट की तारीख 30 सितंबर 2019 थी.