संजय विश्वकर्मा, उमरिया। कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) आने के साथ ही मौत के सौदागर एक बार फिर से लाशों पर अपनी जेब भरने के लिए एक्टिव हो गए हैं। ताजा मामला उमरिया जिला अस्पताल ( Umaria District Hospital) का है। उमरिया जिला अस्पताल सीएमएचओ ऑफिस में पदस्थ बाबू वीरेन्द्र त्रिपाठी ने अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर के भंडारण के लिए एनओसी देने सप्लायर से ढाई लाख की घूस मांगी। घूस नहीं देने पर अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की खेप आने से रोक दी। भला हो उस सप्लायर का जिसने इसकी शिकायत उमरिया कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ( Umaria Collector Sanjeev Srivastava) से कर दी। इसके बाद कलेक्टर ने घूसखोर बाबू को ससंपेंड कर दिया है। 

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ये कोई पहला मामला नहीं है, जब घूसखोर विरेंद्र त्रिपाठी पर कार्रवाई की गई है। घूसखोर बाबू वीरेन्द्र त्रिपाठी साल में तीन बार सस्पेंड होने वाला जिले का इकलौता कर्मचारी है। स्वास्थ्य विभाग में ही पत्नी-बहन और भाई की फर्जी नौकरी लगवाकर सुर्खियों में आया था।

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जानिए क्या है पूरा मामला 

दरअसल पूरा मसला उमरिया जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की उपलब्धता से जुड़ा हुआ है। दरअसल उमरिया सीएमएचओ आरके मेहरा ( Umaria CMHO RK Mehra)  के ऑफिस में बाबू विरेंद्र त्रिपाठी काम करता है। कोरोना की लहर को देखते हुए राज्य सरकार ने सभी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सिलेंडर रखने के निर्देश दिए हैं।

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इसी के तहत उमरिया जिला अस्पताल में सप्लायर ऑक्सीजन सिलेंडर की डिलेवरी करने के लिए प्राइवेट कंपनी का सप्लायर गया था। उसने सप्लायर को एनओसी देने के लिए ढाई लाख रुपए की डिमांड कर दी।  सप्लायर के मना करते ही न सिर्फ खेप रोकी बल्कि सिलेंडर से भरा ट्रक को भी गोदाम में खाली नही होने दिया। इसके बाद सप्यालर ने इसकी शिकायत उमरिया कलेक्टर से कर दी। इसके बाद कलेक्टर ने घूसखोर बाबू को तो सस्पेंड कर दिया है।

अब देखना होगा कि मौत के सौदागर घूसखोर बाबू के खिलाफ प्रशासन एफआईआर भी दर्ज करती है। या हर बार की तरह इस बार भी सिर्फ खानापूर्ति करके छोड़ देती है।

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