रायपुर। दंतेवाड़ा में आयोजित बदलता बस्तर कार्यक्रम में दंतेश्वरी स्व सहायता समूह की अध्यक्ष सावित्री सोड़ी और पिसाई सोड़ी ने बताया कि लघु वनोपज की खरीदी कर आत्मनिर्भर हुई हैं. इससे समूह ने अच्छा मुनाफा कमाया है. सावित्री और पिसाई जब मंच पर आई तो विधायक मोहन मरकाम ने पूछा कि आप क्या करते हैं. सोढ़ी ने जवाब दिया कि समूह के माध्यम से लघु वनोपज (इमली, साल बीज, इमली प्रसंस्करण) की खरीदी करती हैं. इसके बाद विधायक ने पूछा कि इससे कितनी आमदनी हुई है. सोड़ी ने बताया कि इमली से 19 हजार रुपए आमदनी हुई है. वहीं साल बीज से 32 हजार रुपए की आमदनी हुई.

दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं से बस्तर के विकास कार्यों में तेजी आई है. विकास से बस्तर की तस्वीर बदली है. दंतेवाड़ा के डेनेक्स ने देश में एक नई पहचान बनाई है. इसके अलावा वनोपज खरीदी, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी न्याय योजना और मनरेगा से ग्रामीणों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आया है. इन योजनाओं से बस्तर के लोगों की तकदीर बदली है. वहीं क्षेत्र में अपने कार्यों से बदलाव लाने वाले नायकों को लोगों के सामने न्यूज 24 और लल्लूराम डॉट कॉम ने बीड़ा उठाया और बदलता बस्तर नाम से एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया. दंतेवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय विधायक और पीसीसी के अध्यक्ष मोहन मरकाम मुख्य अतिथि थे. वहीं नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप, बस्तर विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष संतराम नेताम मौजूद रहे.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मरकाम ने बस्तर के असल नायकों का सम्मान किया. इस दौरान ग्राम हेडमुंडा निवासी गायत्री कृषक कल्याण समिति के अध्यक्ष सुदुराम मरकाम ने बताया कि उन्हें कृषि यंत्र सेवा योजना का लाभ मिला है. योजना के तहत एक ट्रैक्टर मिला है. सरकार से 8 लाख अनुदान मिला है. बाकी 2 लाख लोन लिया है. ट्रैक्टर से नागर जोताई करके मक्का, धान उगाया है. मक्का बेचकर अच्छा कमाई की है. आस-पास के गांव वालों को भी योजना के बारे में बताया है.

विधायक मरकाम ने पूछा कि कितने घंटे ट्रैक्टर चलाया. तब सुदुराम ने बताया कि 2 सौ घंटा चलाया है. और इससे 50 हजार रुपए का लाभ मिला है.

गोधन न्याय योजना… बदलता बस्तर 

पतिराम मंडावी गोधन न्याय योजना गोठान समिति के अध्यक्ष ने बताया कि गोबर खरीदी करके महिला समूह को देते हैं. इससे वे वर्मी कपोस्ट तैयार करते है. मांग होने पर बेचते है. अबतक 4 लाख का वर्मी कम्पोस्ट बिक गया है. मेरे पास छोटा सा डेयरी है. इसके माध्यम से एक लाख 30 हजार का गोबर बेच दिया. हर 15 दिन में भुगतान हो रहा है. पतिराम ने बताया कि पहले दूध बेचने से खर्चा जाता होता था. अब गोबर के बाद लाभ बढ़ गया है.

इसी तरह ग्राम पंचायत ठेमगांव के रहने वाले आशाराम मरकाम ने मनरेगा में अच्छा काम किया है. उन्होंने बताया कि मेरे पास 3 एकड़ जमीन है. मनरेगा के जरिए तालाब गोदवाया है. जिससे पानी मिल रहा है. पंप लगाकर पानी खेत तक पहुंच जा रहा है. अभी मक्का व सब्जी की खेती कर रहे हैं. फसल बेचने के बाद 40 हजार रुपए का फायदा हुआ है.

वहीं बड़े करेला निवासी छबिराम पटेल को रुर्बन मिशन योजना का लाभ मिला है. वे सब्जी की खेती करते हैं. मिर्ची, गोबी, टमाटर के फसल से अच्छा आमदनी हुई है. उन्होंने बताया कि अब खेती करना फायदेमंद हुआ है. पहले खुले में पानी देकर खेती कर रहा था. कृषि विभाग के मार्गदर्शन से मुझे ड्रीप एरिगेशन का लाभ मिला है. इससे लाभ दोगुना हो गई है. आमदनी से परिवार वाले बेहद खुश है.

दुकारू राम मंडावी और उनके परिवार ने मनरेगा में बेहतर कार्य किया है. वे 100 दिवस पूर्ण एफआरए हितग्राही है.

ग्राम बड़े करेला की रहने वाली भानबती समूह संचालित करती हैं. वे समूह के माध्यम से व्यवसाय कर रही हैं. उन्होंने बताया कि निर्मल महिला ग्राम संगठन की अध्यक्ष हैं. उन्हें रूबन मिशन के तहत 6 लाख 64 हजार रुपए मिला. जिसमें समूह ने 3 लाख 16 हजार रुपए का अंशदान दिया. कुल 9 लाख 98 हजार रुपए से एक पिकअप वाहन शासन ने प्रदान किया. पिकअप से समूह को अप्रैल 2021 से अगस्त तक 2 लाख 26 हजार रुपए की आमदनी हुई है.

सुंदर बस्तर समूह के उमा देवी ने बताया कि हमें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का लाभ मिला है. हम लोग काष्ट शिल्प का काम करते हैं. सुनीता कश्यप, ग्राम संबलपुर निवासी ने बताया कि समूह के माध्यम से लघु वनोपज खरीदा किया गया. कोरोना काल में संग्राहकों को 18 लाख का भुगतान किया गया. जिसमें 50 हजार का कमीशन मिला. जिसे समूह कि महिलाएं आपस में वितरण किया.

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