बद्रीनाथ, उत्तराखंड। 29 अप्रैल रविवार को केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद आज बद्रीनाथ धाम के कपाट भी खुल गए हैं. बद्रीनाथ में दर्शन करने के लिए तड़के 3 बजे से ही श्रद्धालु जमा हो गए थे. सुबह 4 बजकर 29 मिनट पर बद्रीनाथ के कपाट खोले गए.
यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है. तड़के सवा 3 बजे से ही मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. मान्यता है कि केदारनाथ के बाद जो भी श्रद्धालु बद्रीनाथ के भी दर्शन करता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. आज यहां माणा गांव की महिलाओं ने लोक नृत्य की प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया. वहीं गढ़वाल स्काउट के बैंड की धुनों पर भी लोग भावविभोर हो गए.
इस मौके सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, बदरीनाथ विधायक महेन्द्र भट्ट बदरीनाथ नगर पंचायत अध्यक्ष अरविंद शर्मा, सीईओ बीडी शर्मा, धर्माधिकारी मोहन चंद उनियाल, किशोर पंवार आदि मौजूद रहे.
बद्रीनाथ धाम की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, जब गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई, तो ये 12 धाराओं में विभक्त हो गई. इस स्थान पर मौजूद धारा अलकनंदा कहलाई और ये जगह बद्रीनाथ यानि कि भगवान विष्णु का निवास स्थान बना. भगवान विष्णु की प्रतिमा वाला वर्तमान मंदिर 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और माना जाता है कि आदि शंकराचार्य, आठवीं शताब्दी के दार्शनिक संत ने इसका निर्माण कराया था.
भगवान विष्णु के ध्यानयोग का स्थान बद्रीनाथ
वहीं लोककथाओं के मुताबिक, यहां नीलकंठ पर्वत के पास भगवान विष्णु ने बाल रूप में अवतार लिया. ये स्थान पहले शिव केदार भूमि के रूप में व्यवस्थित था. भगवान विष्णुजी अपने ध्यानयोग के लिए जगह खोज रहे थे और उन्हें अलकनंदा नदी के पास यह स्थान बहुत भा गया. उन्होंने वर्तमान चरणपादुका स्थल पर ऋषि गंगा और अलकनंदा नदी के संगम के समीप बाल रूप में अवतरण किया और क्रंदन करने लगे. उनका रोना सुनकर माता पार्वती का हृदय द्रवित हो उठा. फिर माता पार्वती और शिवजी खुद उस बालक के पास उपस्थित हो गए. माता ने पूछा कि बालक तुम्हें क्या चहिये? तो बालक ने ध्यानयोग करने के लिए वह स्थान मांग लिया. इस तरह से रूप बदल कर भगवान विष्णु ने शिव-पार्वती से ये स्थान अपने ध्यानयोग के लिए प्राप्त कर लिया. यही पवित्र स्थान आज बदरीविशाल के नाम से विख्यात है.