बांदा, यूपी। उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी और उनकी पत्नी को दिल का दौरा पड़ा है. अंसारी की पत्नी जेल में उनसे मिलने के लिए गई थीं, जहां उन्हें हार्ट अटैक आया. दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां अंसारी और उनकी पत्नी की हालत गंभीर बताई जा रही है.

बताया जा रहा है कि जिस वक्त अंसारी को दिल का दौरा पड़ा. उस वक्त उन्हें अटेंड किया जा रहा था. उसी वक्त उनकी वाइफ को भी दिल का दौरा पड़ा. दोनों को बांदा के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है. हालांकि बेहतर इलाज के लिए उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया है. डाॅ के एल पांडेय ने बतया क‌ि दाेनाें के सीने में दर्द उठा था. ज‌िसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया. मुख्तार अंसारी के डाॅक्टर ने बताया क‌ि वाे शुगर अाैर ब्लड प्रेशर के भी मरीज हैं.

विधायक मुख्तार अंसारी पत्नी अफशां अंसारी के साथ

बता दें कि मुख्तार अंसारी पिछले साढ़े 8 महीने से बांदा जेल में बंद हैं. कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि विधायक मुख्तार अंसारी को लखनऊ या आसपास की ही किसी जेल में शिफ्ट किया जा सकता है. ऐसा विधानसभा सत्र को देखते हुए किया जाने वाला था. उन्हें इससे पहले उन्नाव जेल भी ले जाया गया था. यहीं से उन्हें हर रोज विधानसभा पहुंचाने का प्रबंध किया गया था.

मुख्तार अंसारी मऊ सदर सीट से विधायक हैं. उनकी पत्नी का नाम अफशां अंसारी है. बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के जुर्म में मुख्तार अंसारी अभी जेल की सज़ा काट रहे हैं. मोहम्मदाबाद सीट से विधायक रहे कृष्णानंद राय पर 29 नवंबर 2005 को एके 47 रायफल से गोलियां चलाईं गई थीं. उनके शरीर में 67 गोलियां पाई गईं थीं. दिनदहाड़े हुई इस हत्या में कुल छह लोग मारे गए थे. वहीं इस हत्याकांड के मुख्य गवाह शशिकांत राय की 2006 में रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी.

कौन हैं मुख्तार अंसारी?

मुख्तार अंसारी माफिया और गैंगस्टर रहते हुए राजनीति में आए. वे गाजीपुर के हैं और मऊ सीट से चार बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. मुख्तार ने पहले दो चुनाव बसपा के टिकट पर जीता और बाद में दो चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीते.

आपराधिक गतिविधियों के कारण बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्तार को 2010 में पार्टी से निकाल दिया था. इसके बाद मुख्तार ने अपने भाई अफजाल अंसारी के साथ मिलकर कौमी एकता दल नाम से नई पार्टी का गठन किया.

हालांकि पिछले साल उत्तर प्रदेश चुनाव के ठीक पहले वे फिर से बसपा में शामिल हो गए.