नीरज काकोटिया, बालाघाट। वर्षों तक जंगलों की अंधेरी राहों में भटकती रही सुनीता जब आत्मसमर्पण के बाद अपने माता-पिता के सामने आई, तो वह दृश्य किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। पिता और कांपते हाथों से आशीर्वाद देती माँ की आंखों से बहते आँसू सब कुछ कह रहे थे। दर्द, पछतावा और सुकून, सब एक साथ। कभी घर की लाडली रही सुनीता नक्सली संगठन के संपर्क में आकर जंगलों में चली गई थी। वर्षों तक परिवार को उसकी कोई खबर नहीं मिली। हर त्योहार, हर पर्व पर माँ की आँखें बेटी की राह तकती रहीं। पिता ने भी उम्मीद नहीं छोड़ी और जब प्रशासन की पहल पर आत्मसमर्पण के बाद मुलाकात हुई, तो परिवार की टूट चुकी डोर फिर से जुड़ गई। माँ ने रोते हुए कहा “हमारी बेटी लौट आई, बस यही सबसे बड़ी खुशी है।”
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पिता ने पुलिस और प्रशासन का धन्यवाद देते हुए कहा कि अगर पहले ही ऐसा अवसर मिला होता, तो शायद बेटी इस रास्ते पर नहीं जाती। पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने बताया कि सुनीता का आत्मसमर्पण यह साबित करता है, कि हिंसा से बेहतर हमेशा शांति और परिवार का साथ होता है। प्रशासन अब उसके पुनर्वास और समाज की मुख्यधारा में वापसी की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। वहीं बाकी नक्सलियों से अपील की है वह भी अपनी मुख्यधारा में वापस आए।
नक्सली गतिविधियों से लंबे समय से प्रभावित क्षेत्र में पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने नक्सलियों से हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार और पुलिस प्रशासन ऐसे सभी लोगों का स्वागत करेगा जो आत्मसमर्पण कर शांति का मार्ग अपनाना चाहते हैं। हिंसा से किसी का भला नहीं होता। जंगलों में भटककर अपने और परिवार के जीवन को संकट में डालने से बेहतर है कि मुख्यधारा में लौटकर देश और समाज की सेवा करें।”
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उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को शासन की ओर से पुनर्वास योजना का पूरा लाभ दिया जाएगा- जिसमें शिक्षा, रोजगार और सुरक्षित जीवन की गारंटी शामिल है। पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने कहा कि हाल के दिनों में कई नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जो यह संकेत है कि अब लोग हिंसा से तंग आ चुके हैं और शांति चाहते हैं। उन्होंने बाकी नक्सलियों से भी अपील की कि वे भ्रमित करने वाले तत्वों से दूर रहें और अपने परिवारों के पास लौट आए।
जबरदस्ती उठाकर ले गए थे नक्सली
सुनीता ने 1 नवंबर को आत्मसमर्पण किया था। पुलिस ने मंगलवार को उसके माता-पिता को बीजापुर से बुलवाकर आमने-सामने कराया। सरपंच चन्नुलाल पुरियाम भी इस मौके पर मौजूद थे। सरपंच ने छत्तीसगढ़ी गोंडी भाषा का अनुवाद करते हुए बताया कि सुनीता के माता-पिता ने कहा कि नक्सलियों ने बेटी को जबरन घर से उठा लिया था। अगर दलम में नहीं भेजी, तो बाकी दो बेटियों को भी ले जाएंगे, ऐसी धमकी दी गई थी। उन्होंने पुलिस को शुक्रिया कहा कि उनकी बेटी अब सुरक्षित है। सरपंच ने बताया कि गांव से चार लोग नक्सल संगठन में गए थे, जिनमें से सुनीता समेत दो लौट आए हैं, जबकि दो अभी भी जंगल में हैं।
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