अरविंद मिश्रा, बलौदाबाजार. स्कूलो में लगातार अनुपस्थित शिक्षकों पर जल्द ही प्रशासन की गाज गिर गिरने वाली है. दरअसल, कलेक्टर रजत बंसल ने समय सीमा की बैठक के दौरान शिक्षा विभाग की कार्यो की समीक्षा की, इस दौरान पता चला कि जिले के ज्यादातर स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति तो है, लेकिन वे लंबे समय से अनुपस्थित है. जिससे बच्चों की पढाई के साथ शासन को भी नुकसान हो रहा है. इसके साथ ही शिक्षा गुणवत्ता में भी परेशानी आ रही है. उनका यह कृत्य यह साबित करता है कि उन्हें नौकरी की आवश्यकता नहीं है. ऐसे में कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया है कि ऐसे शिक्षकों पर तत्काल कठोर कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त करें.

विभागीय सूत्र की मानें तो जिले के स्कूलों में पदस्थ ऐसे शिक्षक भी हैं जो स्कूल का काम छोड़ प्राइवेट कंपनियों के काम कर रहे हैं. जिले के अधिकारियों को ये बात मालूम भी है, इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. जिसके चलते उनके हौसले बुलंद हैं. वहीं ये भी बात सामने आई है कि लंबे समय से अनुपस्थित शिक्षकों का वेतन भी बराबर निकलता है. जिसके एवज में एक निश्चित राशि शिक्षा विभाग को दी जाती है. जिसकी वजह से वे अपना काम बेरोकटोक करते हैं. शिक्षा विभाग में पदस्थ एक शिक्षक ने बताया कि कुछ स्कूलों के शिक्षक, जिन्हें 10 से 15 साल हो गए हैं, वे भी गायब रहते हैं. यहां जो भी जिला शिक्षा अधिकारी पदस्थ हुए हैं सबको मालूम है पर कार्रवाई नहीं होती.

दूसरे विभागों में कर रहे काम

जिले में पदस्थ बहुत से टीचर शिक्षकीय काम कम कर नेतागिरी ज्यादा करते हैं. चाहे वह सामाजिक हो या विभागीय. जिसकी वजह से वे स्कूली न जाकर अक्सर बाहर घुमते रहते हैं.
जिले में कई टीचर ऐसे हैं जो दूसरे विभागों में संलग्नीकरण कराकर पदस्थ हैं. जिसका परिणाम दो दिन पहले कलेक्टर परिसर में देखा गया. जहां आदिवासी विभाग में छात्रावास अधीक्षक कार्य देख रही शिक्षिका अब वापस मूल पदस्थापना में जाना नहीं चाह रही है. बताया जा रहा है कि उक्त शिक्षिका का पहले भी स्थानांतरण हुआ है, लेकिन हर बार छात्राओं को आगे कर वह अधीक्षक पद पर बैठी हुई है. जबकि उनका मूल विभाग शिक्षा है.

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