कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। प्रदेश में BSC नर्सिंग सेकंड ईयर परीक्षा पर रोक मामले पर आज हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में सुनवाई हुई है. सुनवाई में जबलपुर आयुर्विज्ञान विवि के परीक्षा नियंत्रक पेश हुए. इस दौरान शासन के जबाब पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने शासन से छात्रों की संख्या के साथ कॉलेजवार जानकारी मांगी है. साथ ही निर्देश दिए है कि शासन को एफिडेविट के साथ अगली सुनवाई में जबाब प्रस्तुत करना होगा.
दरअसल दो सप्ताह बाद मामले की अगली सुनवाई होगी. गौर करने वाली बात यह भी है कि बीती सुनवाई के दौरान अधिसूचना पत्र के संबंध में परीक्षा नियंत्रक को नोटिस जारी हुआ था. जिसमें शासन को बिना नामांकन, बिना संबद्धता वाले नर्सिंग कॉलेजों से जुड़े छात्रों की जानकारी शासन को पेश करनी थी. लेकिन शासन ने पेश किए जबाब में सिर्फ 8661 छात्रों की संख्या बताई. बाकी अन्य जानकारी पेश नहीं की, जिस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए अगली सुनवाई में पूरी जानकारी एफिडेविट के साथ मांगी है. हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान यह मामला भी उठाया है कि रसूखदार लोगों से जुड़े नर्सिंग कॉलेजों को विवि द्वारा सपोर्ट किया जा रहा है, जो सीधे तौर पर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ को दर्शाता है.
19 सितंबर को जबलपुर आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की तरफ से एक अधिसूचना जारी की गई थी. जिसमें कहा गया था कि बीएससी नर्सिंग सेकंड इयर की परीक्षा 2022 आयोजित की जा रही है. इस परीक्षा में कुछ नर्सिंग विश्वविद्यालय के विद्यार्थी संबद्धता एवं नामांकन के अभाव में परीक्षा में सम्मिलित हो रहे थे. ऐसे विश्वविद्यालय और उनके विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय परीक्षा आयोजित करा रहा था. जिसको लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने इसको गंभीर लापरवाही माना था. साथ ही परीक्षा पर रोक लगा दीथी,विश्वविधालय के कुलसचिव ओर परीक्षा नियंत्रक को नोटिस जारी हुआ था.
हाईकोर्ट ने कुलसचिव को इस मामले में शपथ पत्र पेश करने के लिए कहा था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता उमेश कुमार बोहरे ने कोर्ट में तर्क दिया था कि मेडिकल विश्वविद्यालय ऐसे विद्यार्थियों की परीक्षा कराने जा रहा था. जिनके न नामांकन हुआ न कॉलेजों को संबद्धता है. परीक्षा कराने को लेकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है. इसके लिए जो भी दोषी है, उनके खिलाफ कार्रवाई जाए. नर्सिंग कॉलेज लगातार घोटाला कर रहे हैं और ऐसे विद्यार्थियों को नर्सिंग की डिग्री दे रहे है, जिन्हें कोई अनुभव नहीं है. हाईकोर्ट ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया और परीक्षा पर रोक लगा दी थी.
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