संजय विश्वकर्मा, उमरिया। मध्य प्रदेश में बाघ और चीतों की तर्ज पर हाथियों में भी सैटेलाइट कॉलर लगाए जाएंगे। इससे हाथियों की लोकेशन का पता चल सकेगा। इसका एक्सेस हाथी कॉरिडोर वाले जिलों के डीएफओ और वाइल्ड लाइफ मुख्यालय में स्थिति कंट्रोल कमांड सेंटर में होगा। दरअसल हाथी झुंड में होते हैं, इसलिए कॉलर हर झुंड के एक हाथी को लगाया जाएगा।
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आंकड़ों की बात करें तो अकेले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ही 70 से अधिक और संजय डुबरी नेशनल पार्क में 25 हाथियों का डेरा है। कॉलर लगाने के लिए कर्नाटक वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने स्वीकृति दे दी है। कर्नाटक में इस तरह के प्रयोग हो रहे हैं। बताया जाता है कि हाथी प्रति दिन करीब दस किमी तक चलते हैं। ऐसे में उनकी लोकेशन का पता आसानी से लगाया जा सकता है।
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सैटेलाइट कॉलर लगाने से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों खासकर जंगल के पास बसे गांव के लोगों को इससे बड़ी राहत मिलेगी। अगर ये जंगली हाथी गांव की तरफ जाते हैं, तो इन्हें मैनेज कर जंगल की तरफ हाका लगाया जाएगा। साथ ही लोगों को भी जागरूक किया जाएगा।
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