नई दिल्ली। पटना की एक विशेष एनआईए अदालत ने बुधवार को जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के आतंकवादी बांग्लादेशी नागरिक जाहिदुल इस्लाम उर्फ कौसर को तीन आईईडी लगाने का दोषी ठहराया, जिनमें से एक में विस्फोट हो गया। विस्फोट बिहार में बोधगया मंदिर परिसर में और उसके आसपास जनवरी 2018 में दलाई लामा और पूर्वी राज्य के तत्कालीन राज्यपाल की निर्धारित यात्रा से पहले हुआ था।

एक अधिकारी ने कहा कि इस्लाम को आईपीसी की धारा 121ए, 122, 123, 471, यूए (पी) अधिनियम की धारा 16, 18, 18बी और 20, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4 और 5 और विदेशी अधिनियम की 14 के तहत दोषी ठहराया गया।

अदालत ने कहा है कि अभियोजन पक्ष आरोपी के अपराध को घर लाने में सक्षम था। अभियोजन पक्ष ने संदेह से परे उनके मामले को सफलतापूर्वक साबित कर दिया है। अदालत ने अब मामले की अगली सुनवाई के दौरान फैसला सुनाएगी और सजा तय करेगी। इससे पहले, आठ जेएमबी आतंकवादियों को दिसंबर 2021 में एक ही एनआईए कोर्ट द्वारा अलग-अलग जेल की सजा सुनाई गई थी।

अदालत ने तीन आतंकवादियों – पी.शेख, अहमद अली और नूर आलम मोमिन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अन्य पांच आतंकवादियों आदिल शेख, दिलवर हुसैन, अब्दुल करीम उर्फ कोरीम, मुस्तफिजुर रहमान उर्फ शाहीन और आरिफ हुसैन को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।

एनआईए ने 3 फरवरी, 2018 को मामला दर्ज किया था। पहला इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) कालचक्र मैदान के गेट नंबर 5 पर पाया गया था और इसे सुरक्षित करने के दौरान इसमें विस्फोट हो गया था। दो और आईईडी बाद में श्रीलंकाई मठ के पास और महाबोधि मंदिर के गेट नंबर 4 की सीढ़ियों पर पाए गए।

एनआईए द्वारा की गई जांच में पाया गया कि गणमान्य व्यक्तियों के दौरे से पहले दोषी व्यक्तियों ने बोधगया मंदिर परिसर में आईईडी लगाकर साजिश रची थी।

जेएमबी के आतंकवादियों ने एक-दूसरे से संपर्क किया, एक साथ यात्रा की, साजिश रची और विस्फोटक खरीदे, बोधगया मंदिर परिसर में इन तीनों आईईडी को लगाया।

साल 2018 में तीन गिरफ्तार आरोपियों – पी. शेख, अहमद अली और नूर आलम के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था और बाद में 2019 में 6 और व्यक्तियों – आदिल शेख, दिलवर हुसैन, अब्दुल करीम उर्फ कोरीम, मुस्तफिजुर रहमान, जाहिदुल इस्लाम उर्फ कौसर और आरिफ हुसैन के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दायर किया गया था।