रायपुर। सभी सरकारी और प्राइवेट बैंक हर महीने सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर पेनाल्टी ले रही हैं, जिससे आम आदमी को चूना लग रहा है. वहीं बैंक और सरकार दोनों फायदे में हैं. सभी बैंकों में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में खाते पर मिनिमम बैलेंस रखने की दर अलग-अलग है. जैसे कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में सेविंग अकाउंट में मेट्रो में 5000 रु, शहरी क्षेत्र में 3 हजार रुपए, ग्रामीण इलाके में 1 हजार रुपए मिनिमम बैलेंस रखना अनिवार्य है. वहीं एचडीएफसी बैंक में मेट्रो में 10 हजार, शहर में 10 हजार और गांव में ढाई हजार मिनिमम बैलेंस अकाउंट में रखना जरूरी है. इसी तरह ICICI बैंक में मेट्रो में 10 हजार रु, शहर में 10 हजार रु, गांव में 2 हजार रुपए मिनिमम बैलैंस बचत खाते में रखना है. ऐक्सिस बैंक में बचत खाते में मेट्रो में 10 हजार, शहर में 10 हजार, ग्रामीण इलाके में ढाई हजार रु (छमाही आधार पर), PNB में मेट्रो में 1 हजार, शहर में 1 हजार और गांव में 500 रुपए (तिमाही आधार पर) और बैंक ऑफ बड़ौदा में भी मेट्रो में 1 हजार, शहर में 1 हजार और ग्रामीण इलाके में 500 रुपए (तिमाही आधार पर) मिनिमम बैलेंस बचत खाते में रखना है.
मिनिमम बैंलेंस नहीं रखने पर पेनाल्टी
मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं करने पर अगर पेनाल्टी की बात करें, तो SBI मेट्रो में 50 से 100 रुपए, शहर में 40 से 80 रुपए, और ग्रामीण इलाके में 20 से 50 रुपए काटता है. HDFC मेट्रो में 150 से 600 रुपए, शहरी इलाके में 150 से 600 रुपए और ग्रामीण इलाके में 270 से 450 रुपए पेनाल्टी लेता है.
वहीं ICICI की बात करें, तो मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर मेट्रो में 350 से 450 रुपए, शहर में 350 से 450 रुपए, गांव में 250 से 350 रु, एक्सिस बैंक मेट्रो में 350 रु, शहर में 350 रु, गांव में 250 रु, बैंक ऑफ बड़ौदा मेट्रो में 200 रु, शहर में 100 रुपए और ग्रामीण इलाके में 100 रुपए पेनाल्टी काटता है. वहीं पंजाब नेशनल बैंक लोकेशन के आधार पर तिमाही बेसिस पर मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर 15 से 250 रुपए तक का चार्ज लेता है.
गौरतलब है कि अगर कस्टमर बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंस नहीं रखते हैं तो इससे बैंकों को नुकसान होता है। अकाउंट मेंटेन करने पर बैंकों को पैसा खर्च करना पड़ता है। मिनिमम बैलेंस मेंटेन न होने पर बैंक पेनल्टी के जरिए लागत की भरपाई करते हैं। इसके अलावा मिनिमम बैलेंस रहने से बैंक तरलता के मोर्चे पर बेहतर स्थिति में रहते हैं।
लेकिन अब बात करें आर्थिक रूप से कमजोर लोगों, गरीबों या फिर मिडिल और लोवर मिडल क्लास फैमिली की, तो मिनिमम बैलेंस यही वर्ग नहीं मेंटेन कर पाता है. ऐसे में उन्हें काफी नुकसान होता है, जबकि बैंक अपनी इनकम में पेनाल्टी को डालती हैं. वहीं इससे सरकार भी फायदे में रहती है, क्योंकि पेनाल्टी के साथ 18 फीसदी जीएसटी जुड़ता है, जो सरकार के खाते में सीधे जाता है.