Bank Prepayment Penalty: आज के समय में जब ज़रूरतें लगातार बढ़ती जा रही हैं, लोन लेना आम बात हो गई है. चाहे बात हो घर खरीदने की, नई कार लेने की या किसी इमरजेंसी खर्च को पूरा करने की—बैंकिंग सेक्टर ग्राहकों को कई तरह के लोन उपलब्ध करा रहा है. लेकिन जब कोई उधारकर्ता अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत होते ही समय से पहले लोन चुका देता है, तो बैंक खुश होने के बजाय उस पर प्रीपेमेंट पेनल्टी लगा देता है.

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क्या होता है लोन प्रीपेमेंट?

लोन प्रीपेमेंट का अर्थ है कि आप अपने लोन की बकाया राशि को तय अवधि से पहले ही पूरी तरह चुका देते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपने 5 साल के लिए पर्सनल लोन लिया है लेकिन 3 साल में ही पूरी रकम चुका दी, तो यह प्रीपेमेंट माना जाएगा.

क्यों लगाते हैं बैंक प्रीपेमेंट पेनल्टी?

अब सवाल उठता है कि जब ग्राहक समय से पहले लोन चुका रहा है, तो बैंक उसे सराहते क्यों नहीं, बल्कि पेनल्टी क्यों लगाते हैं?

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दरअसल, बैंक की कमाई लोन पर वसूले जाने वाले ब्याज से होती है. जितनी लंबी अवधि तक लोन चलता है, उतना अधिक ब्याज बैंक को मिलता है. जब ग्राहक समय से पहले लोन चुका देता है, तो बैंक को मिलने वाला ब्याज घट जाता है—और यहीं से बैंक को आर्थिक नुकसान होता है. इसी नुकसान की भरपाई के लिए प्रीपेमेंट पेनल्टी वसूली जाती है.

बैंक को कैसे होता है नुकसान? (Bank Prepayment Penalty)

मान लीजिए किसी ने ₹10 लाख का लोन लिया और उसे ब्याज सहित ₹14 लाख चुकाने थे. लेकिन उसने 2 साल में ही पूरा लोन चुका दिया. ऐसे में बैंक को ₹4 लाख का जो ब्याज मिलना था, वह घटकर ₹1.5 या ₹2 लाख ही रह जाता है. इससे बैंक की लेंडिंग से होने वाली आय घट जाती है और इसका असर उनके पोर्टफोलियो पर पड़ता है.

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कितनी होती है प्रीपेमेंट पेनल्टी? (Bank Prepayment Penalty)

यह शुल्क आमतौर पर बकाया लोन राशि का 2% से 5% तक हो सकता है. कुछ बैंक फिक्स्ड अमाउंट के रूप में भी यह चार्ज वसूलते हैं.

उदाहरण: ₹5 लाख के बकाया लोन पर अगर बैंक 3% प्रीपेमेंट चार्ज लेता है, तो ग्राहक को ₹15,000 अतिरिक्त देने पड़ सकते हैं.

किन लोन पर लगती है यह पेनल्टी? (Bank Prepayment Penalty)

  • फिक्स्ड रेट लोन: यदि आपने फिक्स ब्याज दर पर लोन लिया है (जैसे कि कुछ पर्सनल लोन या फिक्स्ड रेट होम लोन), तो बैंक प्रीपेमेंट पर चार्ज वसूल सकता है.
  • फ्लोटिंग रेट लोन: RBI के दिशानिर्देशों के अनुसार, फ्लोटिंग रेट लोन (जैसे होम लोन) पर प्रीपेमेंट पेनल्टी नहीं लगाई जा सकती.

किन बातों का रखें ध्यान? (Bank Prepayment Penalty)

  • लोन एग्रीमेंट ध्यान से पढ़ें: लोन लेने से पहले उसकी शर्तों और नियमों में यह जरूर देखें कि प्रीपेमेंट चार्ज की क्या नीति है.
  • लोन की अवधि समझें: अगर आप शुरुआती वर्षों में प्रीपेमेंट करते हैं, तो ब्याज पर बचत अधिक होती है.
  • बैंक से बात करें: कई बार, अगर ग्राहक सैलरी अकाउंट होल्डर है या बैंक का लॉयल कस्टमर है, तो बैंक प्रीपेमेंट चार्ज माफ भी कर सकता है.

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