देवास। मध्यप्रदेश के देवास बैंक नोट प्रेस से चौंकाने वाली खबर आई है. यहां डिप्टी कंट्रोलर मनोहर वर्मा के भ्रष्टाचार को सुन आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल मनोहर वर्मा पिछले 8 महीनों से बैंक नोट प्रेस से रुपए चुराने का काम कर रहा था और अब तक वो 90 लाख 5 हजार रुपयों की चोरी कर चुका है.

बता दें कि देवास बैंक नोट प्रेस में डिप्टी कंट्रोलर मनोहर वर्मा को कल 500 रुपए के नए नोटों की दो गड्डियां चुराकर ले जाते हुए गिरफ्तार कर लिया गया. इसकी गिरफ्तारी के बाद ये खुलासा हुआ कि ये अधिकारी नोट प्रेस से अपने जूतों में 500-500 के नोट छुपाकर घर ले जाता था.

ऐसे हुआ मामले का खुलासा

पर्यवेक्षक अधिकारी होने के कारण उसकी ज्यादा चेकिंग भी नहीं की जाती थी. लेकिन पिछले 4 दिनों से बीएनपी में पदस्थ वरिष्ठ पर्यवेक्षक मनोहर वर्मा को बार-बार टेबल के नीचे झुकता देखकर दूसरे अधिकारियों-कर्मचारियों को शक हुआ. इसके बाद नियंत्रण अधिकारियों ने सीसीटीवी कैमरे के जरिए मनोहर वर्मा की हरकतों को देखा. पिछले कई महीनों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, तब जाकर पता चला कि वो अपने जूते में 500-500 रुपए के नोट छुपाकर ले जाता था.

कल शुक्रवार को फिर उस पर निगरानी रखी गई और जैसे वो नोट जूते में रखकर गेट के बाहर आने लगा, तो पहले से तैयार बैंक नोट प्रेस के अधिकारी, थाना बीएनपी टीआई उमरावसिंह बल के साथ बाहर खड़े थे. उसके जूतों की चेकिंग की गई, तो उसमें 500 रुपए के नोट रखे हुए थे. मनोहर वर्मा को तुरंत पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जिसके बाद उसने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. सीआईएसएफ ने ऑफिस में उसके डस्टबिन और लॉकर से 26 लाख 9 हजार 300 रुपये के नए नोट बरामद किए.

पुलिस ने आरोपी के घर की भी तलाशी ली और उसकी पत्नी और बेटे से भी पूछताछ की. आरोपी के साकेत नगर स्थित घर से दीवान के अंदर, जूते के डिब्बों और कपड़े की थैलियों में छिपाकर रखे गए 64.5 लाख रुपए के नए नोट मिले. इस तरह से अब तक करीब 90 लाख 5 हजार रुपए बरामद कर लिए गए हैं.

आरोपी अधिकारी केवल रिजेक्टेड नोटों की करता था चोरी

बता दें कि मनोहर वर्मा सिर्फ रिजेक्टेड नोट ही चुराता था. जांच अधिकारियों ने बताया कि ये अधिकारी सिर्फ 200 और 500 रुपए के रिजेक्टेड नोटों की गड्डियां ही चुराता था. आरोपी मनोहर वर्मा को 3 महीने पहले ही रिजेक्ट नोट शाखा का पर्यवेक्षक बनाया गया था. नोट में मामूली से डिफॉल्ट होने पर उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाता था. इन नोटों को आरोपी अधिकारी चुराकर अपने पास रख लेता था. अधिक डिफॉल्टेड नोट को वो डिस्पोजल में भेज देता था. मनोहर वर्मा नोट वेरिफिकेशन सेक्शन का हेड है.

मनोहर वर्मा एक तो उच्चाधिकारी था, इसके कारण भी वो बचता आ रहा था. क्योंकि न तो उसके लॉकर की जांच होती थी और न तो खुद उसकी. इसलिए वो लगातार कपड़ों और जूतों में रखकर नोट चुरा रहा था.

सीआईएसएफ जवान की सजगता आई काम

सीआईएसएफ के एक जवान ने मनोहर वर्मा को डस्टबिन में कुछ फेंकते हुए देखा था, जिसके बाद उसे उस पर शक हो गया था. दरअसल मनोहर वर्मा ने डस्टबिन के पास लकड़ी का एक बॉक्स रख रखा था और वो सिक्योरिटी गार्ड्स की नज़र बचाकर नोटों की गड्डी उसी बॉक्स में फेंक देता था. बाद में मौका देखकर वो नोटों की गड्डी को कपड़ों और जूते में छिपा लेता था. सीआईएसएफ जवान ने अपने उच्चाधिकारियों को शिकायत की, जिसके बाद मनोहर वर्मा की हरकतों पर नज़र रखने के लिए  मूवेबल सीसीटीवी कैमरे को डस्टबिन की ओर फिक्स कर दिया गया था, जिसके बाद मनोहर वर्मा की पोल खुल गई.

देवास के एएसपी अनिल पाटीदार ने बताया कि आरोपी ने रिजेक्ट नोटों को बाजार में चलाया या नहीं, इसकी जांच की जा रही है. वहीं आरोपी से फिलहाल बीएनपी जीएम एमसी वैलप्पा और सीएआईएसफ के वरिष्ठ अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं.