आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। बस्तरवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिहाज से 400 करोड़ की लागत से बनाए गए मेडिकल कॉलेज के गुणवत्ताहीन निर्माण की पोल खुल रही है. वार्डों का शौचालय चोक है, तो कहीं सीलिंग गिर रही है, तो कमरे में सीपेज की वजह से डॉक्टर बरामदे में ओपीडी संचालित करने को मजबूर हैं. यह भी पढ़ें : रायपुर दक्षिण में चुनावी सभा लेने पहुंचे प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट, कहा – लोगों का मिल रहा समर्थन, जीतेंगे उपचुनाव
मेडिकल कॉलेज की अव्यवस्था से केवल मरीजों ही नहीं, बल्कि मेडिकल स्टॉफ और डॉक्टरों भी परेशान हैं. बरामदे में मरीजों को देखने को मजबूर मेडिकल कॉलेज के सीनियर डॉक्टर खिलेश्वर सिंह बताते हैं कि ओपीडी में टॉयलेट का पानी रिस रहा है, जिसका बदबू बर्दाश्त से बाहर है, यही वजह है कि हम बरामदे में ओपीडी संचालित कर रहे है.
दरअसल, संभाग का एकमात्र मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में बनाया गया, जिसकी शुरुआत तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की थी. लोकार्पण के बाद से ही मेडिकल कॉलेज के गुणवत्ता पर लगातार सवाल खड़े होते रहे हैं. इस हॉस्पिटल में ना सिर्फ बस्तरवासी बल्कि पड़ोसी राज्य ओडिशा के मरीज भी इलाज करवाने आते हैं. इसके बावजूद मेडिकल कॉलेज प्रशासन व्यवस्थाओं को सुधारने में नाकाम रहा है.
मेडिकल कॉलेज की अव्यवस्था पर अधीक्षक अनुरूप साहू ने बताया कि इस संबंध में उच्चाधिकारियों को सूचित कर दिया है. वहीं कलेक्टर हरीश एस का कहना है कि इस मामले अधीक्षक से जानकारी लेकर व्यवस्था को तत्काल दुरुस्त कराया जाएगा. अब सवाल यह है कि अधिकारियों फाइल पर कब जिम्मेदारों की नजर पड़ेगी और मेडिकल कॉलेज में उपचार करा रहे मरीजों के साथ डॉक्टरों को राहत मिलेगी.
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