अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप(Donald Trump) और ब्रिटिश प्रसारण संस्था बीबीसी के बीच विवाद तेज हो गया है। ट्रंप ने बीबीसी पर 1 अरब डॉलर (लगभग ₹8,400 करोड़) का मुकदमा दायर करने की धमकी दी है। ट्रंप की कानूनी टीम ने इस संबंध में बीबीसी को कानूनी नोटिस भी भेज दिया है। यह पूरा मामला बीबीसी के एक वीडियो से जुड़ा है, जिस पर ट्रंप ने गंभीर आपत्ति जताई थी। ट्रंप का आरोप है कि वीडियो में उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुँचा। विवाद बढ़ने के बाद बीबीसी ने अपने वीडियो के लिए औपचारिक रूप से ट्रंप से माफी मांग ली है। हालांकि संस्था ने यह स्पष्ट किया है कि ट्रंप का मानहानि का दावा निराधार है और उनके अनुसार कानूनी तौर पर ऐसा कोई मामला बनता नहीं है।
इस बीच बीबीसी की ओर से चेयरमैन समीर शाह ने व्हाइट हाउस को पत्र लिखकर विवादित वीडियो में की गई एडिटिंग को गलती बताते हुए खेद प्रकट किया है। पत्र में कहा गया है कि ट्रंप के भाषण की एडिटिंग अनजाने में भ्रामक बन गई, और संस्थान इसके लिए माफी मांगता है। बीबीसी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह एडिटिंग जानबूझकर नहीं की गई थी, न ही इसका उद्देश्य ट्रंप को गलत तरीके से प्रस्तुत करना था। संस्था ने अपने जवाब में यह भी कहा कि ट्रंप द्वारा लगाए गए मानहानि के आरोप का कोई कानूनी आधार नहीं बनता, इसलिए मुकदमे की धमकी टिकाऊ नहीं है।
किस बयान पर मचा था बवाल?
डोनाल्ड ट्रंप और बीबीसी के बीच जारी विवाद की शुरुआत करीब चार साल पुराने उस वीडियो से हुई है, जिसकी एडिटिंग पर ट्रंप ने गंभीर आपत्ति जताई है। यह वीडियो उस समय का है जब अमेरिकी कांग्रेस जो बाइडेन की चुनावी जीत की आधिकारिक पुष्टि करने वाली थी। इससे पहले अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा था कि वे “शांति से और देशभक्ति के साथ अपनी आवाज़ बुलंद” करेंगे। हालांकि उसी भाषण के दूसरे हिस्से में उन्होंने यह भी कहा था “अगर तुम जमकर लड़ाई नहीं करोगे, तो तुम्हारा देश नहीं बचेगा।”
वीडियो में एडिटिंग का यह क्रम ट्रंप को उकसाने वाली टिप्पणी के रूप में दिखाता है, जिस पर ट्रंप ने कड़ी नाराज़गी जताई। ट्रंप का आरोप था कि इस एडिटिंग से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा, इसे राजनीतिक पक्षपात का उदाहरण कहा जा सकता है, और BBC ने जानबूझकर गलत नैरेटिव बनाने की कोशिश की। ट्रंप की नाराज़गी और कानूनी कार्रवाई की धमकी के बाद बीबीसी को सफाई देनी पड़ी। BBC चेयरमैन समीर शाह ने व्हाइट हाउस को पत्र भेजकर एडिटिंग को “गलती” बताया और इसके लिए माफी भी मांगी, लेकिन यह स्पष्ट किया कि मानहानि का कोई कानूनी आधार नहीं है। इस प्रकरण के बाद BBC में आंतरिक कार्रवाई भी हुई और कई लोगों को इस्तीफा देना पड़ा।
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