राजस्थान. दुनिया में सात अजूबे हैं और इन सात अजूबों को देखने की ख्वाहिश भला किसमें ना हो. दुनिया का हर इंसान चाहता है कि अपनी जिंदगी में वह एक बार इन सातों अजूबों को देख लें, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाता. एक आम इंसान के लिए इन सातों अजूबों को देखना एक सपने को पूरा करने के जैसा होता है, जो अपने इस जन्म में तो वह पूरा नहीं ही कर सकता. इसके लिए मोटी रकम जो चुकानी पड़ती है. लेकिन जब आपका यह सपना आपके अपने ही देश भारत में ही पूरा हो जाए तो इससे बेहतर और कुछ हो ही नहीं सकता.

जी हां, राजस्थान के कोटा शहर में एक ऐसा पार्क है, जहां पर दुनिया के इन सात अजूबों को एक साथ देखने का सुनहरा मौका मिलता है. इस पार्क का नाम है- सेवन वंडर्स पार्क. इस पार्क को देखने पर ऐसा प्रतीत लगता है कि मानिए जैसे दुनिया के सात अजूबों को एक साथ यही ला कर रख दिया हो.

2013 में बना पार्क

साल 2013 में शहरी विकास मंत्रालय की दिशानिर्देशिता में 20 करोड़ खर्च 150 कामगरों की मदद से किशोर सागर झील के बगल में इस खूबसूरत पार्क को तैयार किया गया था. खुद में इस छोटी-सी दुनिया में आप ताजमहल, गिजा का पिरामिड, क्राइस्ट द रिडीमर, एफिल टावर, लीनिंग टावर ऑफ पीसा, स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी तथा रोमन कोलॉजियम जैसे सात अजूबे एक साथ देख सकते हैं. Read More – भारत में लॉन्च होंगे Tecno Phantom X2 Series के दो नए स्मार्टफोन, जानें कीमत और फीचर्स …

किशोर सागर झील की खूबसूरती के कारण खास

दिल्ली में खुले ऐसे ही सेवन वंडर्स पार्क से पहले ये भारत का एकमात्र ऐसा पार्क था. दिल्ली में भी यूँ तो ये पार्क खुल गया है, मगर जो बात कोटा में है, वो वहाँ नहीं. कोटा का सेवेन वंडर्स पार्क यहाँ का मुख्य आकर्षण केंद्र है और इसकी बड़ी वजह ना सिर्फ यहाँ का कंस्ट्रक्शन, बल्कि पीछे बहती किशोर सागर झील भी है.

समय गुजारने के लिए बेहतरीन जगह

आप चाहें तो अपने साथ कुछ खाने-पीने को ला सकते हैं, वरना यहाँ भी कैंटीन मौजूद है. ये जगह समय गुजारने के लिए बेहतरीन है, खासकर शाम में. झील से आती ठंडी हवा मन को सुकून देती है. थकान मिटाने की क्षमता है इस जगह में इसलिए आप अक्सर विद्यार्थियों को यहाँ चहलकदमी करता देखेंगे.

ये है खास यहां

क्राइस्ट द रिडीमर

सात अजूबे में कैथोलिक इसाई स्मारक क्राइस्ट द रिडीमर की विशाल प्रतिमा ब्राजील के रियो डि जेनेरियो शहर के बाहर एक ऊंची पहाड़ी पर शहर की तरफ देखती हुए बनी है. इसकी ऊंचाई 38 मीटर है. इसके दोनों हाथों के मध्य की दूरी 28 मीटर है. सेवन वंडर्स पार्क में इसकी प्रतिकृति 2.50 मीटर ऊंची है. इसे 6 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है.

ताज महल

सात अजूबे में उत्तरप्रदेश के आगरा में सफेद संगमरमर से बनी 35 मीटर ऊंची सुंदर इमारत है. मुगल शासक शाहजहां ने अपनी तीसरी पत्नी मुमताज की याद में 1632 में इसका निर्माण प्रारंभ करवाया. मुख्य इमारत 1648 में बनकर पूरी हुई. आस-पास की इमारतें व बगीचे का निर्माण पांच साल बाद किया गया. कोटा में इसकी प्रतिकृति की ऊंचाई 7.50 मीटर है.

मिस्र का पिरामिड

त्रिभुज आकर में विशाल पत्थरों से बना ये ढांचा मिस्र के गीजा शहर के नजदीक स्थित है. दुनिया भर के पर्यटकों के लिए हॉट स्पॉट बने इस पिरामिड की एक भुजा की लंबाई 230.40 व ऊंचाई 137.16 मीटर है. यह विशालकाय आयताकार पत्थरों से निर्मित है. सेवन वंडर्स पार्क में बनी इसकी प्रतिकृति 7.50 मीटर ऊंची है. Read More – Safe Driving Tips : वाहन चलाते समय भूल से भी न करें ये 3 काम, वरना हो सकता है जान को खतरा …

पीसा की झुकी मीनार

इटली के पीसा शहर में यह मध्ययूगीन यूरोप के अद्भुत वास्तुशिल्प और इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है. इसका निर्माण 1173 में शुरू हुआ. लगातार युद्धों के चलते 200 सालों तक निर्माण चला. यह गोलाकार मीनार है, जिसकी ऊंचाई 60 मीटर है. कोटा में इसकी प्रतिकृति की ऊंचाई लगभग 18 मीटर है.

एफिल टावर

दुनिया की सबसे चर्चित इमारतों और ढ़ाचों में शुमार एफिल टावर का निर्माण 1887 से 1889 के दौरान पेरिस में हुआ. इसके शीर्ष पर लगे एंटीने सहित इसकी ऊंचाई 320.75 मीटर है. 1930 से पहले तक यह विश्व की सबसे ऊंची इमारत मानी जाती थी. यह स्टील से बनी हुई है. कोटा का एफिल टावर 30 मीटर ऊंचा है.

स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी

अमेरिका और फ्रांस ने इसका निर्माण करवाया. मूर्ति का निर्माण फ्रांस में 1884 में हुआ. 1885 में इसे न्यूर्याक भेजा गया. पेडस्टल का निर्माण 1886 में हुआ. इस पर 28 अक्टूबर 1886 को मूर्ति स्थापित की गई. मूर्ति की ऊंचाई 46.50 मीटर है. पेडस्टल भी इतना ही ऊंचा है. कोटा में इसकी ऊंचाई पेडस्टल सहित 10 मीटर है.

रोम का कॉलिजियम

यह इटली के रोम शहर में है. इसे फ्लेविन एम्फीथियेटर के नाम से जाना जाता है. इसका निर्माण वेस्पेशियन ने इसवी सन 72 में इसका निर्माण करवाया. पुत्र टाइटस ने इसे सन 80 में पूर्ण करवाया. इसकी लंबाई 188 व चौड़ाई 156 मीटर है. कोटा में बनी इसकी प्रतिकृति 15 मीटर लंबी व 12 मीटर चौड़ी है.