शशांक द्विवेदी, खजुराहो। बच्चों को पढ़ाने के लिए बनाए गए आंगनबाड़ी केंद्र (Anganwadi Kendra) की सरकार लाख तारीफ करती है और आंकड़े भी हमेशा बढ़-चढ़ कर दिखाए जाते है, लेकिन प्रदेश में कुछ आंगनबाड़ी ऐसे हैं जहां की तस्वीर देख आप भी हैरान रह जाएंगे। देश के नौनिहालों किस तरह से जर्जर स्थिति में खस्ताहाल आंगनबाड़ी में अपने भविष्य संवार रहे हैं, भवन की छत का अधिकांश हिस्सा जर्जर हो चुका है, जंग लगे सरिया यह बताते हैं कि कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है, और हां ऐसा नहीं कि इस बात की सूचना गांव के सरपंच से लेकर सम्बंधित अधिकारियों तक न हो।

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दरअसल यहां बात सिर्फ जर्जर भवन की नहीं है, बात यहां छुआछूत की भी है, जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से पूछा गया कि आप गांव में भी कोई अलग से किराये का भवन लेकर आंगनवाड़ी संचालित कर सकती है, तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि ऐसा नहीं है कि गांव में कोई भवन न हो और उसके लिए किराये की राशि भी विभाग से आती है, वह हरिजन (SC) में आती है, और इसी कारण से गांव में कोई आंगनबाड़ी के लिए भवन या कमरा किराये से नहीं देता, जबकि आंगनबाड़ी केंद्र में सभी जाति के बच्चे पढ़ने सीखने आते हैं।

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मामले में महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी ने बताया वर्तमान में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र स्कूल के अतिरिक्त कक्ष में संचालित है, और नवीन आंगनबाड़ी केंद्र की सूची में भी देवगांव आंगनबाड़ी केंद्र का नाम है। छुआछूत के मामले में गांव के सरपंच से बात करके गांव के भवन में संचालित की जाएगी।

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने छुआछूत को बताया देश का दुर्भाग्य

मामले में जात-पात और भेदभाव को जड़ से मिटाने की मुहिम चलाने वाले कथा वाचक बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने छुआछूत के इस मामले पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने इसे देश का दुर्भाग्य बताया है। उन्होंने कहा कि, छुआछूत को जड़ से मिटाने के लिए हम यात्रा निकाल रहे हैं ताकि सोए हुए हिंदुओं को जगाया जा सके।

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