भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का प्रयोग विशेष रूप से होता है जो शिव जी को प्रसन्न करने का आसान तरीका भी माना जाता है. मुख्य रूप से ऐसी मान्यता है कि सोमवार के दिन यदि शिव पूजन में बेलपत्र का इस्तेमाल किया जाता है और इसके कुछ आसान उपाय आजमाए जाते हैं तो शिव पूजन का पूर्ण फल मिलने के साथ घर की सुख समृद्धि भी बनी रहती है.

सोमवार के लिए बेलपत्र के कुछ विशेष उपाय

ऐसा माना जाता है कि यदि आप सोमवार के दिन शिवलिंग को स्नान कराने के बाद बेलपत्र के 5 पत्ते चढ़ाती हैं और साथ में दूध और शहद से शिवलिंग का अभिषेक करती हैं तो आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. यदि आपकी कोई मनोकामना है तो उसे दोहराते हुए कम से कम 11 सोमवार तक ये उपाय आजमाएं, आपकी पूजा अवश्य स्वीकार होगी और कामना की पूर्ति होगी.

विवाह में हो रही है देरी तो बेलपत्र के उपाय

यदि विवाह में देरी हो रही है या किसी वजह से बात नहीं बन पा रही है तो पांच सोमवार शिवलिंग का मंदिर में जल से अभिषेक (शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही तरीका) करें और 108 बेलपत्र अर्पित करें. बेलपत्र अर्पित करते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करें और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करें. इसके अलावा यदि आप सोमवार के दिन शिव जी के साथ माता पार्वती का पूजन भी करेंगी तो जल्द ही आपके विवाह के योग बनेंगे.

स्वास्थ्य समस्याओं के लिए बेलपत्र के उपाय

अगर आप अपने स्वास्थ्य की कुछ समस्याओं से परेशान हैं तो 108 बेलपत्र चंदन में डुबोएं और ॐ नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर अर्पित करें. साथ ही भगवान शिव से अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें. इस आसान उपाय से आपको जल्द ही सेहत में सुधार दिखेगा. हालांकि ये बीमारी का इलाज नहीं है लेकिन शिव जी पर किया गया विश्वास ही आपको रोगों से मुक्त करने में मदद करेगा.

संतान सुख के लिए बेलपत्र के उपाय

यदि आपको संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो रही है तो पूर्ण विश्वास के साथ भगवान शिव का प्रत्येक सोमवार पूजन (सोमवार पूजन में न करें ये गलतियां) करें. संतान सुख के लिए आप एक आसान उपाय आजमा सकती हैं. अपनी उम्र के बराबर संख्या में बेलपत्र लें और एक पत्र में कच्चा दूध लें. एक-एक बेलपत्र दूध में डुबोते हुए शिवलिंग पर चढ़ाएं और प्रत्येक बेलपत्र के साथ ॐ नमः भगवते महादेवाय का जाप करें. साथ ही संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें. ये उपाय कम से कम सात सोमवार तक करें और कोशिश करें कि पूर्णिमा तिथि के बाद जो पहला सोमवार पड़े उससे शुरुआत करें.