योगेश सिंह ठाकुर, बेमेतरा। छत्तीसगढ़ में इन दिनों स्कूल प्रवेश उत्सव चल रहा है। जगह-जगह से सरकारी स्कूलों की बदहाली की खबरें आ रही हैं। सरकारी अस्पतालों में अवस्थाओं की खबरें आ रही हैं। लेकिन इन सबके बीच एक ऐसी ख़बर आई जिसने जिला प्रशासन की प्राथमिकता को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है।
ख़बर जिला मुख्यालय बेमेतरा से है. जहां साहब को जाना तो चाहिए था विद्यालय, लेकिन साहब पहुंच गए मदिरालय। जी हां, कुछ ऐसी बातें अब बेमेतरा में लोग कर रहे हैं।

बता दें कि सोमवार को कलेक्टर रणबीर शर्मा ने शहर में हाल ही में खुली प्रीमियम वाइन शॉप का औचक निरीक्षण किया। उनके साथ अपर कलेक्टर अनिल बाजपेयी, आबकारी उप निरीक्षक वीणा भंडारी और निवेदिता मिश्रा भी उपस्थित रहीं। निरीक्षण के दौरान उन्होंने प्रकाश व्यवस्था, ई-बिलिंग प्रणाली, स्टॉक रजिस्टर, स्वच्छता, ग्राहक सुविधा जैसे बिंदुओं की समीक्षा की और निर्देश दिए कि संचालन पूरी तरह अनुशासित और समयबद्ध हो।

हालांकि यह निरीक्षण प्रशासनिक दृष्टिकोण से सामान्य प्रक्रिया मानी जा सकती है, लेकिन शहर की जमीनी समस्याओं से जूझती जनता के बीच यह कदम सवालों के घेरे में आ गया है।
प्रशासन की प्राथमिकता को लेकर उठे सवाल
बेमेतरा के निवासियों का कहना है कि जब शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार, आत्मानंद स्कूलों में शिक्षकों की कमी और सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति जैसे गंभीर मुद्दे लंबित हैं, ऐसे में एक शराब दुकान का निरीक्षण सवाल खड़े करता है। आवास योजना में रिश्वत के ऑडियो वायरल हो चुके हैं, स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, लेकिन अफसर शराब दुकान की सजावट देखने जा रहे हैं। इसके अलावा कई बार स्कूल की छत गिरने की भी शिकायत की गई है, लेकिन अब तक कोई मरम्मत नहीं हुई। ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि क्या बच्चों की सुरक्षा से ज़्यादा जरूरी शराब दुकान की सुविधा है?”
पूर्व विधायक छाबड़ा का बयान: “लोकेशन ही गलत, प्रशासन की संवेदनहीनता”
पूर्व विधायक आशीष छाबड़ा ने प्रशासन और सरकार दोनों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह दुकान महाविद्यालय के ठीक बगल में, कलेक्ट्रेट के सामने, नेशनल हाईवे से सटी हुई, और पास ही वृद्धाश्रम व कस्तूरबा बालिका विद्यालय है। हमने इसकी लोकेशन का शुरू से ही विरोध किया था। उन्होंने इसे भाजपा सरकार की जनविरोधी मानसिकता का हिस्सा बताया और आरोप लगाया कि भाजपा की प्राथमिकता शराब है, शिक्षा या जनसेवा नहीं। यह नशे में डुबोने की साजिश है। स्कूलों का कोई निरीक्षण नहीं हो रहा, लेकिन शराब दुकान की व्यवस्था देखने खुद कलेक्टर पहुंचते हैं, ये प्रशासन की संवेदनहीनता है।”
छाबड़ा ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि कलेक्टर के बंगले से सिर्फ 200 मीटर दूर स्थित आत्मानंद स्कूल की छत गिरे एक वर्ष हो गया, फिर भी किसी अधिकारी ने वहां झांकने तक की ज़हमत नहीं उठाई।
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