रायपुर. प्राण मुद्रा योग काफी कारगर योगासन है. इस मुद्रा से छोटी-मोटी बीमारी तो वैसे ही दूर हो जाती है. रोजाना 15 से 20 मिनट दो बार करें या एक ही बार 30 मिनट तक इस मुद्रा को किया जा सकता है. शुरुआती दिनों में दस मिनट से शुरुआत कर धीरे-धीरे टाइम पीरियड को बढ़ाया जा सकता है. प्राण मुद्रा की सबसे खास बात ये है कि इसे किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं. गर्भवती महिला भी प्राण मुद्रा नियमित रूप से कर सकती हैं. अगर आप किसी बीमारी से भी पीड़ित हैं, तो भी प्राण मुद्रा कर सकते हैं. इससे शारीरिक नुकसान नहीं होगा.

हम छोटी-मोटी बीमारियों को योग मुद्रा से खुद ठीक कर सकते हैं. इस मुद्रा को हाथ की उंगुलियों से तब बनाते है जब शरीर थकान के कारण नीचे की ओर झुक रहा हो. इस मुद्रा से आंतरिक ऊर्जा और शरीर को रोगों से लड़ने के लिए ताकत मिलती है. इस आसन को करने का कोई सटीक समय नहीं है. हालांकि अकेले और शांत जगह में इस मुद्रा को करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है. इस मुद्रा को शांत कमरे में करने से आपके शरीर में ऊर्जा का संचार होता है.

प्राण मुद्रा का अर्थ क्या है?

प्राण मुद्रा पद्मासन के साथ योग का एक हिस्सा है. ज्यादातर लोग इसे ‘जीवन की मुद्रा’ कहते हैं. क्योंकि ये बहुत ही महत्वपूर्ण जीवन शक्ति है. प्राण का अर्थ ‘ऊर्जा’ या जीवन होता है. प्राण मुद्रा रूट चक्र को उत्तेजित करती है, जिससे कंपन और गर्मी होती है, जो शरीर को जागृत और सक्रिय करता है.

प्राण मुद्रा कैसे करें?

इस मुद्रा को दोनों हाथों की मदद से किया जाता है. सबसे पहले आप अपनी रिंग फिंगर और लिटिल फिंगर को अंगूठे से जोड़ें. अन्य सभी उंगलियां सीधी हों. इस दौरान अपनी रीढ़, सिर और पीठ को बिल्कुल सीधी स्थिति में रखें. प्राण मुद्रा करते समय, आपको एक गहरी और नियमित सांस लेने की आवश्यकता होती है. चित्र में दिखाए अनुसार-

प्राण मुद्रा के लाभ क्या-क्या हो सकते हैं?

प्राण आसन से आपको कई तरह के लाभ हो सकते हैं. जो शरीर की बीमारी को दूर करने के साथ-साथ शरीर में कई तरह की ऊर्जा भरता है. प्राण मुद्रा किसी भी तरह के विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी, विटामिन-डी, विटामिन-ई, विटामिन-के की कमी को दूर करने में मदद करती है. अगर आपको बार-बार भूख लगने की समस्या रहती है, तो यह आसन आपके लिए लाभकारी है. सामान्य कमजोरी की समस्या को दूर करने के साथ-साथ आपका धैर्य बनाए रखने में सहायता करती है. इससे मन की शक्ति में सुधार होता है. ये खाने और नींद की बीमारी की अनियमित आदतों से निपटने में मदद कर सकता है.

इसे भी पढ़ें :