जयपुर. आदिवासियों का कुम्भ, प्रयाग कहे जाने वाला बेणेश्वर मेला राजस्थान के डूंगरपुर में लगता हैं. जो इस बार 1 फरवरी से 5 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा. बेणेश्वर देश में आदिवासियों के सबसे बड़े मेलों में से एक हैं जहाँ बड़ी संख्या में लोग आते हैं. माही, सोम व जाखम नदियों के संगम पर माघ शुक्ल पूर्णिमा को मेला भरता हैं. जो डूंगरपुर शहर से &8 किमी की दूरी पर हैं. तीनों नदियों के संगम पर स्थित इस स्थान पर डुबकी लगाने के बाद भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए बेणेश्वर मंदिर जाने की तमन्ना हर किसी की रहती है. बेणेश्वर के मंदिर के परिसर में लगने वाला यह मेला भगवान शिव को समर्पित होता है.

हाई लेवल पुल 2024 में होगा जनता को समर्पित

तीन नदियों से घिरे धाम के हर साल बारिश के दिनों में टापू बनने की खबर आती है, लेकिन 132 करोड़ से हाई लेवल ब्रिज बनेगा. बेणेश्वर की तीनों नदियों सोम, माही और जाखम में उफान आने से धाम पर जाने वाले तीनों रास्तों पर पानी आ जाता है. बांसवाड़ा से उदयपुर जाने के लिए दूरी भी घट जाएगी. गनोड़ा से बेणेश्वर होते हुए सीधे साबला पहुुंचा जा सकेगा, पालोदा जाने की जरूरत नहीं होगी. इस उच्च स्तरीय पुल के निर्माण के लिए 3 मई 2021 को 132.35 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति जारी की गई है. यह कार्य 31 मार्च 2024 तक पूर्ण कर जनता को सुपुर्द कर दिया जाएगा.

इसलिए बन रहा हाईलेवल पुल

नदियों के संगम पर स्थित बेणेश्वर धाम धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए और प्रसिद्ध पांच दिवसीय मेले के लिए जाना जाता है. मानसून में धाम को जाने वाली सड़कें जलस्तर बढ़ने के कारण डूब जाती है, जिससे धाम एक टापू में बदल जाता है. इस वजह से श्रद्धालु नाव से ही धाम जा पाते है और कई श्रद्धालु धाम में ही फंस जाते हैं. साबला से बांसवाड़ा की तरफ इस पुल की लंबाई 1345 मीटर और भटवाड़ा से बेणेश्वर की तरफ पुल की लंबाई 386.50 मीटर होगी. यह पुल नदी की सतह से 18.50 मीटर की उंचाई पर 36 पिलर पर बनेगा और इसकी चौड़ाई 16 मीटर होगी. पुल में सड़क के साथ क्रैश बैरियर, पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ और रैलिंग भी बनाए जाएंगे.