Bengaluru Water Crisis: देश का आईटी हब बेंगलुरु भीषण जल संकट से जूझ रहा है. बीते साल पर्याप्त बारिश न होने के कारण कावेरी नदी के जल स्तर में काफी गिरावट आई है. इससे पेयजल आपूर्ति और कृषि सिंचाई दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ा है. इसके अलावा बोरवेलों ने स्थिति और गंभीर कर दी है. जल निगम के मुताबिक शहर में 10,995 बोरवेल हैं, इनमें से 3700 सूखने की कगार पर हैं और 1214 पूरी तरह सूख चुके हैं. कई जगह नए बोरवेल खोदने के निर्देश दिए गए हैं. इस बीच कई हाउसिंग ‎‎सोसाइटी ने सुबह और शाम को 4 घंटे‎ तक पानी की सप्लाई बंद कर दी है.

1,500 रुपये में मिल रहा है 6 हजार लीटर पानी

पेयजल किल्लत के कारण बेंगलुरु में पानी का कारोबार तेज हो गया है. कई बार तो लोगों को पानी की मजबूरन भारी भरकम कीमत चुकानी पड़ रही है। बेंगलुरु के पूर्वी उपनगर मराठाहल्ली में एक बहुराष्ट्रीय निगम (एमएनसी) के लिए काम करने वाले एक तकनीकी विशेषज्ञ ने बताया कि उन्हें हर हफ्ते 6,000 लीटर पानी के लिए 1,500 रुपये का भारी भुगतान करना पड़ता है क्योंकि उनके किराए के घर में ट्यूबवेल सूख गया है.

शहर से पलायन‎ करने लगे लोग

पेयजल किल्लत के कारण बेंगलुरु में लोग शहर छोड़कर दूसरी जगह पलायन करने को मजबूर हो रहे है. यही नहीं बल्कि भविष्य में भी पानी की आपूर्ति की चिंता में लोग अब बेंगलुरु की रियल एस्टेट मार्केट में निवेश करने के बारे में पुनर्विचार करने को मजबूर हो चले हैं.

IT कंपनियों के लिए ‎वर्क फ्रॉम होम की मांग, घर से होगी पढ़ाई

शहर में पानी के संकट को देखते हुए लोगों ने सोशल मीडिया पर राज्य के CM ‎सिद्धारमैया से IT कंपनियों के लिए ‎वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य करने की गुहार‎ लगाई है, ताकि शहर में या उसके‎ बाहर घर जाकर इस परेशानी से निजात ‎पा सकें. वहीं कोचिंग सेंटर्स और स्कूलों ने बच्चों को स्कूल आने के बजाए, घर से ही क्लास लेने की सलाह दी है. संस्थानों ने एक हफ्ते के लिए ‘आपातकाल’ की घोषणा करते हुए ये निर्णय लिया कि बच्चे घर से ही क्लास लें क्योंकि स्कूल में पानी ही नहीं है.

CM और डिप्टी CM के घर भी पानी की किल्लत

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के आवास पर बोरवेल सूख गया है, जिसके कारण उनके आवास में पानी का टैंकर जाते देखा गया. सीएम के अलावा डिप्टी सीएम डी के शिवकुमार के घर का बोरवेल भी सूख गया है, जिसके कारण उन्हें भी पानी की परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. सरकार में सबसे उच्च पद पर बैठे दोनों नेताओं का हाल देखकर शहर के आम लोगों की मुश्किलों का अंदाजा लगाना बेहद आसान है.

स्विमिंग पूल को लेकर जारी किया गया आदेश

बेंगलुरु में जल संकट को देखते हुए जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने पेयजल के गैर-जरूरी उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है. बोर्ड ने बेंगलुरु जल आपूर्ति एवं सीवरेज अधिनियम 1964 की धारा 33 और 34 के तहत जनहित में एक आदेश जारी किया है. जिसके मुताबिक शहर में स्विमिंग पूल के लिए पीने योग्य पानी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है.

इस आदेश का उल्लंघन किए जाने पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. इस उल्लंघन की पुनरावृत्ति पर 5000 रुपये का जुर्माना और 500 रुपये प्रति दिन का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा. साथ ही स्विमिंग पूल के मालिक के खिलाफ संबंधित थाने में शिकायत दर्ज कराई जाएगी और जुर्माना वसूला जाएगा. इससे पहले पीने लायक पानी का इस्तेमाल कार धोने, कपड़े धोने या पौधों में डालने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसे न मानने पर 5 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है.

स्लम क्षेत्रों में मुफ्त पानी उपलब्ध कराने के प्रयास – डी. के. शिव कुमार

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिव कुमार ने पेयजल किल्लत के बीच दावा किया कि शहर में पानी के व्यापार को रोक दिया गया है. उन्होंने कहा कि शहर में 16,000 बोरवेलों में से 7,000 गैर-कार्यात्मक हैं. इस संकट से निपटने और सभी निवासियों के लिए पानी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड, ब्रुहट बेंगलुरु महानगर पालिका और नोडल अधिकारियों सहित विभिन्न प्राधिकरणों की ओर से ठोस प्रयास चल रहे हैं. इसके अलावा स्लम क्षेत्रों में मुफ्त पानी उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं.

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