हकिमुददीन नासिर, महासमुंद। महासमुंद जिले के स्कूलों में शिक्षक की कमी के चलते आये दिन स्कूलों में तालाबंदी की खबरे आती रहती है. वहीं शिक्षा विभाग के आला अधिकारी शिक्षकों की व्यवस्था करने के बजाय नियमों को ताक पर रख कर शिक्षक व्यवस्था का खेल खेल रहे है. इसका उदाहरण महासमुंद ब्लाक में देखने को मिला है. एक अतिशेष शिक्षक (जहां बच्चों के दर्ज संख्या से शिक्षकों की संख्या ज्यादा है) वाले स्कूल से शिक्षक को व्यवस्था के तौर पर एक अतिशेष शिक्षक वाले स्कूल में भेजा दिया गया, जो नियमानुसार संभव नहीं है.

अतिशेष शिक्षक वाले स्कूल से शिक्षक विहिन या एकल शिक्षक वाले स्कूल में व्यवस्था करने का नियम है वो भी जिला शिक्षा अधिकारी के अनुमोदन पश्चात. इस संदर्भ में जहां ब्लाक शिक्षा अधिकारी नियम के तहत ऐसा करना बता रहे है, तो जिस स्कूल में व्यवस्था के तहत शिक्षक को भेजा गया. वहां की प्रधान पाठिका का कहना है कि हमारे स्कूल में पहले से ही शिक्षकों की संख्या ज्यादा है तो उन्हें यहां भेजना ही नहीं था.

महासमुंद ब्लाक में कुल 226 प्राथमिक शाला है. जिसमें हजारों छात्र- छात्राओं का भविष्य गढ़ा जा रहा है. 226 में से 10 स्कूल ऐसे है जहां मात्र एक – एक शिक्षक के भरोसे 693 बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है. नियमानुसार यदि किसी प्राथमिक शाला मे 30 बच्चे अध्ययनरत है तो शासन के गाइड लाइन के मुताबिक वहां एक प्रधान पाठक व एक सहायक शिक्षक होता है. जैसे – जैसे बच्चो की संख्या बढती है सहायक शिक्षक की संख्या भी बढती है. उदाहरण के तौर पर 30 बच्चो पर एक सहायक शिक्षक, 60 बच्चों पर दो सहायक शिक्षक इसी अनुपात पर शिक्षक की पदस्थापना या व्यवस्था की जाती है.

महासमुंद ब्लाक में 27 प्राथमिक शाला ऐसी है जहां नियम से बच्चो के दर्ज संख्या के हिसाब से 52 शिक्षक ज्यादा (अतिशेष) है. शासकीय प्राथमिक शाला कौन्दकेरा मे पहली से पांचवी तक के 77 बच्चे पढाई करते है और शिक्षको की संख्या 6 है, जो नियमानुसार ज्यादा है. उसके बावजूद ब्लाक शिक्षा अधिकारी इस स्कूल से एक शिक्षिका को व्यवस्था के नाम पर शासकीय प्राथमिक शाला स्टेशन पारा भेज देते है. शासकीय प्राथमिक शाला स्टेशन पारा मे 154 बच्चे पढ़ाई करते है और 08 शिक्षक वहां पदस्थ है. उसके बावजूद बिना मांग के ही एक शिक्षिका को वहां व्यवस्था के तौर पर पदस्थ कर देते है. नियमानुसार ब्लाक शिक्षा अधिकारी के पास ये अधिकार नहीं होते हुए भी उन्होंने ऐसा किया और मीडिया के संज्ञान में आने के बाद आनन फानन में 25 अगस्त को शिक्षिका को वापस भेजने का आदेश भेज दिया. इसपर ब्लाक शिक्षा अधिकारी ने अपनी सफाई भी दी है.

BEO बने कलेक्टर !

ब्लॉक शिक्षा अधिकारी लीलाधर सिन्हा बने कलेक्टर अपने आदेश में चला रहे हैं. पूरे ब्लॉक को नियमों की धज्जियां किस तरह उड़ना यह उन्हें अच्छी तरह मालूम है. साथ ही BEO लीलाधर सिन्हा का कहना है कि जब कलेक्टर कार्यालय में कलेक्टर कर्मचारियों को अटैच कर सकता है तो फिर मैं अपने ब्लॉक में क्यों नहीं कर सकता.

ब्लॉक शिक्षा अधिकारी लीलाधर सिन्हा

शिक्षक की हमने मांग नहीं की है – प्रधान पाठिका

एक अतिशेष शिक्षक स्कूल से दूसरे अतिशेष शिक्षक स्कूल में व्यवस्था करने पर प्रधान पाठिका डिगेश्वरी शर्मा (शासकीय प्राथमिक शाला स्टेशन पारा) का कहना है कि मेरे स्कूल में पहले से ही शिक्षकों की संख्या ज्यादा है और हमने शिक्षक की मांग भी नहीं की है. अधिकारी का आदेश है तो पालन करना पड़ेगा पर नियमानुसार गलत है.

प्रधान पाठिका डिगेश्वरी शर्मा

बिना उच्च अधिकारी के निर्देश पर BEO नहीं कर सकता शिक्षक की व्यवस्था – DEO

इस पूरे मामले में महासमुंद जिला शिक्षा अधिकारी मीता मुखर्जी का कहना है कि नियमानुसार ब्लाक शिक्षा अधिकारी शिक्षक की व्यवस्था नहीं कर सकता है. अगर आवश्यक हो तो डीईओ से अनुमोदन लेकर करना होता है. कलेक्टर साहब का भी निर्देश है बिना उनके अनुमोदन में नहीं किया जा सकता. जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि बीईओ से गलती हो गई होगी, इसे जांच करवाती हूं.

महासमुंद जिला शिक्षा अधिकारी मीता मुखर्जी

गौरतलब है कि जहां एक तरफ शिक्षक के कमी के कारण बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षक व्यवस्था के नाम पर खेल खेल रहे हैं. शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले सूचीबद्ध कर शिक्षकों की व्यवस्था कर ली गयी होती तो आज स्कूलों में तालाबंदी नहीं होते.

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