इमरान खान खंडवा। कबाड़ का नाम सुनकर हम उसे दो कौड़ी की चीज समझकर फेंक देते हैं। उसके बारे में सोचना बंद कर देते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसा बगीचा दिखाते हैं जो पूरा कबाड़ से बना है। वह भी इतना खूबसूरत की लोग यहां सेल्फी लेने आते है। लोग छुट्टी के दिन यहां दिनभर घूमने आते है। कबाड़ की जुगाड़ से खूबसूरत बगीचा बना है।

खण्डवा में अनुपयोगी सामग्री से रामेश्वर आम्रकुंज के समीप स्थित शास्त्री बगीचे का कायाकल्प किया जा रहा है। जिसमें ऐसी सामग्री का उपयोग किया गया जो कबाड़ हो चुकी है। बगीचे में कबाड़ सामग्री से बगीचे को सुंदर और आकर्षक रूप दिया गया है। बगीचे के अंदर कुछ सेल्फी प्वाइंट भी बनाए गए है, जो बच्चों और युवाओं की पसंदीदा जगह बन गई है। बगीचे में फर्नीचर और साज सज्जा का जो भी सामान देखने को मिलेगा। वह कबाड़ की चीजों से यानी पुराने टायर, बेकार लोहा, प्लास्टिक और कांच की बोतलें, ड्रम आदि का इस्तेमाल कर बनाया गया है। अनुपयोगी हो चुकी वस्तुओं से भी नवाचार किया जा सकता है। इसकी मिसाल इस बगीचे में देखने को मिलती है।

अनुपयोगी वस्तुओं से यह बगीचा खंडवा के रामेश्वर रोड स्थित जोन क्रमांक 6 के शास्त्री बगीचे में बना है। जोन प्रभारी भुवन श्रीमाली ने बताया कि जोन 6 के अंतर्गत शास्त्री पार्क में कबाड़ से जुगाड़, वेस्ट से बेस्ट कार्य चल रहा है। यह शहर का प्रथम बगीचा है जिसमें उपयोग में लाए जा रहे मटेरियल को एकत्रित करने से लेकर कलाकृतियों के निर्माण तक सारा काम निगमकर्मियों द्वारा किया गया है। इसमें कई प्रकार की आकृतियां बनाई गई है। जिसमें मुख्यत: इतिहास, अध्यात्म, योग और, सूर्य नमस्कार के 12 आसन बनाए गए हैं। कंटेनर से रेलगाड़ी, गुफा, झूले और पुराने टायरों को रंगकर उसमें पौधे लगाए गए हैं। पूरे बगीचे में अनुपयोगी मतलब कबाड़ के सामान से बगीचे का निर्माण किया गया है।

कबाड़ से जुगाड़ और जुगाड़ से खूबसूरत बगीचा कितना चलता है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। अनुपयोगी वस्तुओं को इस तरह से उपयोग में लाया जा सकता है यह जरूर हमें इस बगीचे को देखने को मिलता है।

कार्यालय सहायक नेमीचंद बोयत ने बताया कि बगीचे के सौंदर्यीकरण में एक हजार डिस्पोजल ग्लास, 12 सौ पानी की बोतलें, 400 कांच की बोतलें, 50 ट्यूब लाइट, 200 से ज्यादा पुराने टायर, मटके 17, पुराने बांस 20, पुरानी 5 केन और 5 छोटी इन सब चीजों का उपयोग किया गया है।

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