जगन्नाथपुरी की तरह ही सभी जगदीश मंदिर में ज्येष्ठ पूर्णिमा उत्सव मनाया जाता है. रविवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का सहस्त्रधारा स्नान कराया गया. इस स्नान में कुल 108 घड़ों के सुगंधित जल का इस्तेमाल होता है. भगवान जगन्नाथ को 35, बलदेव जी को 33, सुभद्रा जी को 22 और सुदर्शनजी को 18 घड़े जल से स्नान कराया गया. महास्नान के बाद ठंड लगने के कारण भगवान को बुखार आ जाता है. अब भगवान 14 दिन तक शयन कक्ष में रहेंगे.
आषाढ़ माह की द्वितीया तक भगवान शयन कक्ष में रहेंगे और मंदिर में उनके मुकुट की पूजा होगी. इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक औषधि देकर उनका वैद्य उपचार करेंगे. स्वस्थ होने के बाद भगवान अपनी प्रजा का हाल जानने रथयात्रा से शहर भ्रमण पर निकलते हैं.
दवा के साथ यह भोजन दिया जाएगा
भगवान को दी जाने वाली औषधियों की जानकारी नहीं दी जाती है. भगवान को स्वस्थ होने के लिए उन्हें किस तरह और कौन सी जड़ी बूटियां दी जा रही है. लेकिन खाने में उन्हें पुराने चावल का भात, खिचड़ी, पुरानी जौ का दलिया, सत्तू, धान की लाई, ज्वार की लाई, मूंग की हरी दाल, पुराने तुअर की पतली दाल, दूध की बनी पतली खीर या लस्सी, जल उबालकर देना है. वहीं गरिष्ठ भोजन, ठंडा पदार्थ के सेवन पर सख्त रोक लगाई गई है. 14 दिन के बाद यह सभी दवाएं बंद कर अभिषेक होगा. इसके बाद भगवान पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएंगे.
इस बार 20 जून से पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा
इस साल भगवान जगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन 20 जून से किया जाएगा. हर साल हिन्दू कैलेंडर के आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है. इसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से भक्त पुरी पहुंचते हैं.
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