रायपुर. मार्गशीर्ष माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी मनाई जाती है. कालभैरव की पूजा सही समय और सही विधि से करके आप उन्हें प्रसन्न कर आर्शिवाद प्राप्त कर सकते हैं.
इस दिन आप कालभैरव के मंदिर में जाकर उनकी प्रतिमा पर सिंदूर और तेल चढ़ाकर काल भैरव मंत्र का जाप करें. इस दिन 21 बेल पत्रों पर चंदन से ऊं नमः शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने से भी सारी मनोरथ पूर्ण होती है. इस दिन काल भैरव को प्रिय वस्तुएं जैसे काले तिल, उड़द, नींबू, नारियल, अकवन के पुष्प, कड़वा तेल, सुगंधित धूप, पुए, मदिरा और कड़वे तेल से बने पकवान दान कर सकते हैं.
होती है पुत्र कि प्राप्ति
ऐसी मान्यता है कि कालभैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के अनिष्ट का निवारण हो जाता है. व्यक्ति के जीवन में होने वाले रोग, शोक, दुखः, दरिद्रता से मुक्ति मिलती है और जीवन सुखमय होता है. जो भी व्यक्ति आज के दिन श्रद्धाभाव से भैरवजी की पूजा करता है उसके सभी सकंट और शत्रु बाधा का भी निवारण होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भैरव जी के वाहन कुत्ते को गुड़ खिलाया जाए तो दसों दिशाओं में नकारात्मक प्रभावों समाप्त हो जाते है और पुत्र की भी प्राप्ति होती है.
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महाकाल की पूजा से मिलते है यह लाभ –
काल भैरव की पूजा का सबसे बड़ा लाभ यह होता है की इसकी पूजा से सारे दुःख दर्द मिट जाते है नकारात्मकता दूर हो जाती है साथ ही सभी रोग, शोक, दुःख, दरिद्रता सभी से मुक्ति मिलती है और जीवन मे सुख आ जाता है जिंदगी सुखमय हो जाती है इसी दिन यदि भैरव जी के वाहन कुत्ते को गुड खिलाया जाए तो सभी नकारात्मकता समाप्त हो जाती है और पुत्र की भी प्राप्ति होती है.
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काशी में आकर दोष मुक्त हुए थे कालभैरव
स्कंदपुराण के काशी- खंड के 31वें अध्याय में उनके प्राकट्य की कथा है. गर्व से उन्मत ब्रह्माजी के पांचवें मस्तक को अपने बाएं हाथ के नखाग्र (नाखून) से काट देने पर जब भैरव ब्रह्म हत्या के भागी हो गए, तभी से भगवान शिव की प्रिय ‘काशी’ में आकर दोष मुक्त हुए.
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