लोकेश साहू, धमतरी- लोकसभा चुनाव को लेकर अब उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. ऐसे में दोनों ही पार्टी से दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त तैयार हो गई है, जो पार्टी नेताओं और प्रभारियों के समक्ष अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं. दावेदारों की सूची में सबसे ऊपर नाम राजनीति के चमकते सितारे भवानी शंकर शुक्ल का सामने आ रहा है. ये वो नाम है जो किसी पहचान की मोहताज नहीं है. विरासत में मिली राजनीति इनके खून के कतरे-कतरे में समाया हुआ है.

मध्यप्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री रहे इनके दादा स्व. श्यामाचरण शुक्ल ने बचपन से ही इन्हें राजनीति के गुर सिखाए. बचपने में मिली सीख जवानी की दहलीज में आकर मजबूत चट्टान की तरह नजर आने लगा है. जिसका फायदा पिछले चुनाव में देखने को मिला है. 2018 के विधानसभा चुनाव में अपने पिता को ऐतिहासिक जीत दिलाकर खुद को साबित कर दिखाया है. इस जीत के बाद से भवानी को महासमुंद क्षेत्र के स्थानीय लोग उस चमकते सितारे की तरह देख रहे हैं. जैसे भारतीय राजनीति में उनके दादा देखे जाते रहे हैं. भवानी ने खानदानी विरासत को अब पूरी तरह से संभाल लिया है. संगम की धरा में युवा तरंग नया जोश और नई उमंग से राजनीति का जो मिलन हो रहा है उसे क्षेत्र के लोग बखूबी देख भी रहे हैं.

कॉंग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता अमितेश शुक्ल के बेटे और भवानी शंकर शुक्ल राजिम विधानसभा क्षेत्र से आते हैं जो अपने दादा स्वर्गीय श्यामाचरण शुक्ल और अपने पिता अमितेश शुक्ल के नक्शे कदम पर चलने के साथ साथ एक साफ-सुथरी राजनीति के लिए जाने जाते है. उनके राजनीतिक सफर की बात करें तो भवानी शंकर शुक्ल ने वर्ष 2006 में राजनीति में कदम रखा है. लोगों की समस्याओं को लेकर लड़ाई लड़ते आ रहे भवानी जनता की सेवा में हमेशा तत्पर रहते हैं. महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे स्वर्गीय विद्याचरण शुक्ल के भतीजे भवानी ने अपने चाचा के साथ क्षेत्र के कोने कोने का दौरा किया. यही वजह है कि महासमुंद लोकसभा में एक मजबूत पारिवारिक पृष्ठभूमि भी उनकी बन चुकी है. युवाओं के चहेते और उनके बीच गहरी पैठ जमा चुके भवानी बेबाकी से अपनी बातें रखने से भी गुरेज नहीं करते.

 

भवानी का कहना है कि उनके दादा बेहतर शिक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधा सहित आम लोगों की खुशहाली के लिए कई सपने देखे हैं. उन सपनों को पूरा करने पिता और चाचा की तरह उन्होंने भी राजनीति में कदम रखा है. राजनीति में रहकर वे लोगों की सेवा करना चाहते हैं. अगर कांग्रेस पार्टी उन्हें लोकसभा का प्रत्याशी बनाती है तो वह पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ लोगों की सेवा करेंगे. साथ ही अपने पिता की तरह भारी बहुमत से जीत भी हासिल करेंगे. बहरहाल विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में भारी बहुमत से जीत हासिल करने वाली कांग्रेस पार्टी अब लोकसभा चुनाव में भी पूरे 11 सीट जीतने में जी जान से जुटी हुई है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि पार्टी महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से किस चेहरे पर दांव लगाएगी. लेकिन जिस अंदाज से भवानी ने अपने पिता को रिकॉर्ड मत से जीत का डंका बजवाया है उसे पार्टी भी संभवतः हल्के में नहीं लेना चाहेगी. अगर इन्हें टिकट दिया जाता है तो किसी आश्चर्यजनक परिणाम से भी इंकार नहीं किया जा सकता.