राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा यह तो 3 दिसंबर को तय होगा। इसके पहले एमपी में डिप्टी सीएम ( Deputy Chief Minister) की सुगबुगाहट तेज हो गई है। दो दशक के बाद एक बार फिर उप मुख्यमंत्री पद की चर्चा की जा रही है। बीजेपी-कांग्रेस दोनों दलों में डिप्टी सीएम की कुर्सी रखी जा सकती है। आलाकमान इस पर विचार विमर्श करने में जुटा हुआ है।

मध्य प्रदेश में क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण साधने के लिए डिप्टी सीएम (Deputy CM) वाला कॉन्सेप्ट लागू हो सकता है। स्थाई सरकार और विशिष्ट नेताओं को तवज्जों देने के लिए डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। प्रदेश में डिप्टी सीएम पर नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक चर्चा होने लगी है।

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कांग्रेस में पीसीसी चीफ कमलनाथ (PCC Chief Kamal Nath) मुख्यमंत्री का चेहरा हैं। विशिष्ट नेताओं को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। वहीं भारतीय जनता पार्टी में दिल्ली से सीएम का चेहरा तय होगा। मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल नेताओं को मनाने के लिए भाजपा डिप्टी सीएम का पद ला सकती है।

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बीजेपी और कांग्रेस ने कही ये बात

इस मामले में पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता का कहना है कि बीजेपी में जरूरत के हिसाब से फैसला होता है। यह केंद्रीय नेतृत्व करता है। प्रदेश स्तर पर इस पर टीका टिप्पणी नहीं की जा सकती। वहीं कांग्रेस के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा है कि भाजपा को तो कई फॉर्मूले लाने की जरूरत है, लेकिन कांग्रेस में इस तरह का निर्णय हाईकमान से ही होता है।

MP में अब तक चार डिप्टी सीएम रहे

मध्य प्रदेश में डिप्टी सीएम की बात करें तो अब तक चार लोग उप मुख्यमंत्री रहे हैं। 30 जुलाई 1976 को जनसंघ की सरकार में प्रदेश को पहला डिप्टी सीएम मिला था। मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के कार्यकाल में बीरेंद्र कुमार सखलेचा डिप्टी सीएम बने थे। इनका कार्यकाल 30 जुलाई 1976 से 12 मार्च 1969 तक रहा।

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इसके बाद अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में शिवभानु सिंह सोलंकी डिप्टी सीएम बने। फिर सीएम दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में सुभाष यादव 1993 से 1998 तक उप मुख्यमंत्री रहे। 1998 से 2003 तक जमुना देवी डिप्टी सीएम रहीं।

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