अजय शर्मा,भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस एक नया चेहरा देखने को मिला है. भोपाल की पुलिस बीजेपी नेता के करीबी बिल्डर की बात सुनती है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि बिल्डर के कहने पर पुलिस की टीम मां-बेटी से मकान खाली करवाने उनके घर पहुंची थी, लेकिन जब परिवार परेशान हो गया, तो घर में सीसीटीवी कैमरा लगवा लिया. पुलिस दोबारा घर पहुंची और उनकी नजर सीसीटीवी कैमरे में पड़ी, तो उलटे पैर वापस लौट गई. लेकिन पुलिस की इस तरह की कार्रवाई से सवाल उठना लाजमी है. पुलिस आम जनता की परेशानियों को दूर करने के लिए है या फिर उनकी परेशानी बढ़ाने के लिए है. ऐसे में यह समझना मुश्किल हो जाता है.
दरअसल भोपाल में कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद भोपाल पुलिस का अजीबोगरीब कारनामा देखने को मिल रहा है. एक साल से भोपाल पुलिस एक ही मकान के तलाशी के फेर में चक्कर काट रही रही है. यह चक्कर बिल्डर और मकान मालिक के विवाद को लेकर है. अवधपुरी में बिल्डर के कहने पर मकान खाली कराने पुलिस पहुचीं थी.
पुलिस ने जिस मकान को खाली कराने पहुंची थी, उस मकान में मां और बेटी अकेली रहती है. हर बार पुलिस की तरफ से मकान में तलाशी से परेशान होकर परिवार ने सीसीटीवी कैमरा लगवा लिया. जब दोबारा पुलिस घर की तलाशी लेने पहुंची और कैमरे में कैद होने की बात सामने आई, वैसे ही पुलिस उलटे पैर वापस लौट गई.
बता दें कि मामला बीजेपी नेताओं के करीबी बिल्डर वैभव ठाकुर से जुड़ा है. पुलिस के साथ बिल्डर वैभव भी पहुंचा था. वैभव अवधपुरी थाने का बड़ा भूमाफिया है. पुलिस के आला अधिकारियों की जानकारी में आने के बाद पुलिसकर्मियों को फटकार भी लगी है. इस मामले में पुलिस प्रेस कांफ्रेंस करने वाली है.
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