प्रदीप गुप्ता, कवर्धा। कवर्धा में इन दिनों भोरमदेव महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. भोरमदेव महोत्सव न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी अपनी खास जगह रखता है. इस महोत्सव की अपनी एक अंतर्राष्ट्रीय पहचान है. लेकिन ये महोत्सव अब धीरे-धीरे सरकारी उपेक्षा का शिकार हो रहा है. इस बार भी यहां काफी अव्यवस्था देखने के लिए मिल रही है.
दरअसल लोगों का कहना है कि इस बार यहां अच्छे कलाकारों को नहीं बुलाया गया है. ऊपर से जो कलाकार आए भी हैं, उनके आने-जाने की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है. ऊपर से पिछले 3 सालों से यहां आने वाले लोगों में लगातार कमी आ रही है. महोत्सव में आने वाले लोगों में भी ज्यादातर सुरक्षा में तैनात जवान, अधिकारी, कर्मचारी और राजनीतिक दलों के लोग ही रहते हैं.
गौरतलब है कि भोरमदेव को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है. यहां पिछले 23 साल से भोरमदेव महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. लोगों का कहना है कि यहां अब न तो जाने-माने कलाकार बुलाए जाते हैं और न तो महोत्सव की प्रसिद्धि के लिए ही कोई विशेष काम किया जा रहा है. इस साल भी ऐसे कलाकारों को न्योता दिया गया है, जिन्हें ज्यादातर लोग जानते ही नहीं.
वहीं भोरमदेव तीर्थ प्रबंध कमेटी से शुरू से ही जुड़े हुए सदस्य भी महोत्सव पर नौकरशाही और राजनीति हावी होने का आरोप लगा रहे हैं. भोरमदेव तीर्थ प्रबंध कार्यकारिणी के सदस्य एस एस पाठक का कहना है कि अगर यही हाल रहा, तो महोत्सव की छवि धूमिल होते देर नहीं लगेगी. इनका कहना है कि जब भोरमदेव महोत्सव की शुरुआत की गई थी, तब राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों के साथ छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति के अनुरूप कलाकारों को आमंत्रित किया जाता था. तब कवर्धा ही नहीं बल्कि देश-विदेश से यहां महोत्सव में शामिल होने के लिए आते थे. उन्होंने कहा कि इस महोत्सव की इतनी ख्याति थी कि इसे एक दिन से 3 दिन तक किया गया.
उन्होंने कहा कि महोत्सव में लोगों के आने के लिए गांव-गांव से गाड़ियां चलाई जाती थीं. महोत्सव स्थल के आसपास रुकने एवं खाने की व्यस्था की जाती थी. लेकिन पिछले तीन साल से भोरमदेव महोत्सव एक औपचारिकता मात्र बन कर रह गया है.
भोरमदेव तीर्थ प्रबंध कार्यकारिणी के लोगों ने कहा कि राजिम महोत्सव, जाजल्यदेव महोत्सव, चक्रधर समारोह सहित अनेक महोत्सव जो पहले एक दिन के हुआ करते थे, वे अब 5-7 दिनों तक हो रहे हैं. वहीं मुख्यमंत्री के गृह जिले में आयोजित भोरमदेव महोत्सव को तीन दिन से घटाकर दो दिन कर दिया गया है. इन सदस्यों ने महोत्सव से जुड़े सरकारी अधिकारियों पर कमीशनखोरी का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम चयन के लिए समिति तो गठित की गई है, लेकिन ये भी महज़ दिखावा है, क्येांकि ज्यादातर कार्यक्रम तो पहले से ही अधिकारियेां द्वारा चयनित कर लिए जाते हैं.
वहीं जिला पंचायत उपाध्यक्ष सीमा अनंत ने आयोजक समिति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भोरमदेव मंदिर का एक अपना ऐतिहासिक महत्व है, जिस पर सभी धर्म और समुदाय की आस्था है. उन्होंने कहा कि इस पवित्र स्थल को कुछ लोग अपनी जागीर समझने लगे हैं और समिति और संस्था को खेल और मजाक बना दिया गया है. उन्होंने कहा कि यहां पर किस सदस्य को समिति में शामिल करना है और किसे नहीं करना है, ये भाजपा संगठन के लोग तय करते हैं. उन्होंने कहा कि आयोजन में जनप्रतिनिधियों का कोई अहमियत नहीं है.
आरोप लग रहे हैं कि शहरी क्षेत्र के छोटे से संस्था के जनप्रनिधि और पार्टी विशेष के पदाधिकारी को अवसर दिया गया है, वहीं जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान उपाध्यक्ष सीमा अनंत को किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया है.
मंत्री ने की महोत्सव की तारीफ
इधर सहकारिता मंत्री दयालदास बघेल ने भोरमदेव महोत्सव की खूब तारीफ की और आरोपों को खारिज कर दिया.