रायपुर। मरवाही विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत ने भूपेश सरकार की नीतियों और योजनाओं पर जनता की एक और मुहर लगा दी है। राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद लगातार तीन उपचुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि सत्तारूढ पार्टी को लगातार तीन उपचुनाव में जीत हासिल हुई। दंतेवाड़ा, चित्रकोट के बाद मरवाही में जीत की हैट्रिक बनी है।

विधानसभा चुनाव 2018 में छत्तीसगढ़ में 68 सीटें जीतकर इतिहास रचने वाली कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में लगातार अपना जनाधार मजबूत किया है। इसी क्रम में अब उसने मरवाही के जोगी का गढ़ होने के भ्रम को भी ढहा दिया है। भूपेश के कार्यकाल ने इस दौरान हुए उपचुनावों में जीत का पारंपरिक पैटर्न भी तोड़ दिया है। छत्तीसगढ़ में होने वाले उप-चुनावों में इससे पहले तक सत्तारूढ़ पार्टी को हमेशा हार का सामना करना पड़ता था। 2007 में हुए कोटा उप-चुनाव, वैशालीनगर विधान सभा के उप-चुनाव और राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के उप-चुनाव में कांग्रेस पार्टी को जीत मिली थी। उस समय भाजपा सत्ता में थी। इसी प्रकार वर्ष 2018 में मरवाही उप-चुनाव में भी भाजपा को शिकस्त मिली थी।

दंतेवाड़ा उपचुनाव में कांग्रेस विकास को मुद्दा बनाकर उतरी थी, जबकि भाजपा ने नक्सली हमले में मारे गए विधायक भीमा मंडावी की पत्नी श्रीमती ओजस्वी भीमा मंडावी को मैदान पर उतारा था। तब भी सहानुभूति पर विकास का मुद्दा भारी पड़ा था। महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा 11192 मतों से विजयी हुई थीं। चित्रकोट उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राजमन बेंजाम ने भाजपा प्रत्याशी पूर्व विधायक लच्छूराम कश्यप को 17862 मतों से पराजित किया था। इसी तरह जनवरी 2020 में हुए नगरीय निकाय चुनावों में प्रदेश के 10 में से 10 नगर निगमों में कांग्रेस ने बहुमत प्राप्त किया, सभी जगह पर कांग्रेस महापौर पद पर काबिज हुई। 38 नगर पालिकाओं में से 28 में कांग्रेस और 10 में भाजपा के अध्यक्ष जीते थे।

103 नगर पंचायतों में 61 में कांग्रेस, 36 में भाजपा, 02 में जेसीसी और 04 में निर्दलीय अध्यक्ष जीते। फरवरी 2020 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भी कांग्रेस का दबदबा रहा। 27 जिला पंचायतों में से 20 में कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए, जबकि केवल 07 जिला पंचायतों में भाजपा के अध्यक्ष जीते। 145 जनपद पंचायतों में से 110 में कांग्रेस के अध्यक्षों की नियुक्ति बहुमत के साथ हुई। भाजपा को केवल 33 जनपदों से संतोष करना पड़ा। अन्य ने दो में जीत हासिल की। इस लिहाज से लगातार तीन उप-चुनावों में कांग्रेस को मिली जीत से स्पष्ट है कि भूपेश सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है।

पिछले दो सालों में भूपेश सरकार की योजनाएं और कार्यक्रम किसानों, युवाओं, मजदूरों और गरीबों पर विशेष तौर पर फोकस रही हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नई सरकार के गठन के साथ ही किसानों के लिए किए गए वायदों को न सिर्फ पूरा किया है, बल्कि उनके हक की लड़ाई में हमेशा साथ रहे। उन्होंने किसानों को न केवल 25 सौ रूपए में धान खरीदी करने के वायदे को निभाया, बल्कि कर्जमाफी, सिंचाई-टैक्स में माफी के साथ ही पशुपालकों-किसानों-ग्रामीणों की आय बढ़ने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना तथा गोधन न्याय योजना शुरू की। इनसे युवाओं एवं महिलाओं को भी रोजगार मिल रहा है।

मरवाही को जिला बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के 15 वर्ष के कार्यकाल के दौरान यह मांग पूरी नहीं हो सकी। राज्य में भूपेश बघेल सरकार के गठन के बाद ही इस मांग के पूरी होने का रास्ता साफ हो सका। विश्लेषकों का मानना है कि भूपेश बघेल के इस फैसले ने भी मरवाही का माहौल बदल दिया। अजीत जोगी के निधन के बाद मरवाही सीट पर जोगी-कांग्रेस और भाजपा ने इस बार मिलकर चुनाव लड़ा था, इसके बावजूद जीत कांग्रेस के खाते में गई। मरवाही सीट पर 2018 के चुनाव में जो कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी, उसने भूपेश बघेल के नेतृत्व में इस बार भारी बढ़त के साथ रिकार्ड जीत दर्ज की है। मरवाही क्षेत्र अनुसूचित जाति-जनजाति बहुल क्षेत्र है।

इन वर्गों के लिए भूपेश बघेल सरकार द्वारा बीते दो वर्षों के दौरान की गई घोषणाओं ने भी अपना असर दिखाया है। तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक बढ़ाकर 4000 रुपए मानक बोरा किए जाने, समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 31 किए जाने जैसे फैसलों ने असर दिखाया है। कोरोना-काल में देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद छत्तीसगढ़ के वन एवं मैदानी क्षेत्रों के गांवों में आर्थिक गतिविधियां ठप नहीं होने दी गईं, भूपेश-सरकार की आर्थिक रणनीति ने लगातार उपलब्धियां हासिल की, जिससे उनके पक्ष में लगातार सकारात्मक वातावरण बना रहा।