उप राष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष का लाया गया अविश्वास प्रस्ताव नोटिस खारिज कर दिया है क्योंकि इसे कम से कम 14 दिन पहले लाया जाना चाहिए था. विपक्षी दलों का दांव असफल हो गया है क्योंकि राज्यसभा के उपसभापति ने तकनीकी कारणों से विपक्ष के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. सूत्रों ने बताया कि उपसभापति हरिवंश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह प्रस्ताव दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ एक नैरेटिव बनाने के लिए लाया गया था.

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उपसभापति हरिवंश ने अस्वीकृति के कारणों को बताते हुए कहा कि 14 दिन का नोटिस नहीं दिया गया था, जो इस तरह के प्रस्ताव को पेश करने के लिए आवश्यक था, और सभापति महोदय जगदीप धनखड़ का नाम सही ढंग से नहीं लिखा गया था.

राज्यसभा में पिछले हफ्ते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने संबंधी प्रस्ताव पर सत्ता और विपक्ष के बीच कटु बहस हुई, जिसके कारण भारी हंगामे के बाद उच्च सदन की कार्यवाही शुक्रवार को दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई. “दिन भर सभापति के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है…..यह अभियान मेरे खिलाफ नहीं है, यह उस वर्ग के खिलाफ अभियान है जिससे मैं जुड़ा हूँ”, धनखड़ ने कार्यवाही स्थगित होने से पहले कहा, वह एक किसान के बेटे हैं और कभी “कमजोर” नहीं होगा.

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उन्होंने कहा. “मैं व्यक्तिगत रूप से इस कारण से दुखी हूं कि मुख्य विपक्षी दल ने इसे सभापति के खिलाफ अभियान के रूप में पेश किया है. उन्हें मेरे खिलाफ प्रस्ताव लाने का अधिकार है. यह उनका संवैधानिक अधिकार है लेकिन वे संवैधानिक प्रावधानों से भटक रहे हैं,”

खड़गे बोले- सभापति धनखड़ स्कूल के हेडमास्टर जैसे व्यवहार करते हैं

11 दिसंबर को इंडिया ब्लॉक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सभापति स्कूल के हेडमास्टर की तरह राज्यसभा में व्यवहार करते हैं. विपक्षी सांसद पांच मिनट के भाषण पर दस मिनट तक टिप्पणी करते हैं.

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सभापति सदन में प्रतिपक्ष के नेताओं को अपने विरोधी मानते हैं, चाहे सीनियर हो या जूनियर, और उनके व्यवहार से हम अविश्वास प्रस्ताव लाने को मजबूर हैं.

नोटिस 14 दिन पूर्व देना अनिवार्य होता है

इस दौरान उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा, “वेंकैया नायडू ने अनुच्छेद 67 (बी) के प्रावधानों के तहत प्रक्रियाओं का पालन नहीं करने पर पसभापति के समान निष्कासन नोटिस को खारिज कर दिया था.” उपसभापति ने कहा, “संविधान के प्रावधानों, राज्यसभा के नियमों और पिछली कार्रवाईयों को पढ़ने के बाद मैंने पाया कि यह अविश्वास प्रस्ताव सही प्रारूप में नहीं है. इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 90 (सी) के प्रावधानों के अनुसार, किसी प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए 14 दिनों की नोटिस अवधि की आवश्यकता होती है.”

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