कुमार इंदर, जबलपुर। राज्य सरकार ने कोरोना आपदा पर गुरुवार को हुई हाईकोर्ट में 87 पन्नों की एक्शन टेकन रिपोर्ट सौंपी। सरकार ने अपनी रिपोर्ट में हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश में ऑक्सिजन की उपलब्धता मांग से ज़्यादा है। सरकार ने प्रदेश के 10 ज़िलों में ऑकसीजन की कमी से हुई 87 मौतों पर जवाब अपना जवाब प्रस्तुत किया। कोर्ट में 10 में से 6 ज़िलों शहडोल, माधवनगर, छतरपुर, भोपाल, ग्वालियर, कटनी से आए जवाब में कहा गया है कि कहीं भी ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई।

सरकार के जवाब पर अदालत मित्र नमन नागरथ ने न्यायालय में दलील दी कि अगर सरकार के पास अधिक ऑक्सीजन है तो सप्लाई चैन में गड़बड़ी है। आज भी मरीज़ों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही। ऑक्सीजन के मामले में आज भी सरकार केंद्र पर निर्भरता क्यों है।

आज भी सरकार ये नहीं बता पा रही कि वो खुद का ऑक्सिजन लिक्विड प्लांट कब तक स्थापित करेगी। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर क्या है सरकार की तैयारी ? ये भी बताएं।

रेमडेसिविर इंजेक्शंस की आपूर्ति को लेकर निजी अस्पतालों के लिए दोहरे मापदंड पर हाईकोर्ट ने एतराज जताया। कुछ बड़े निजी अस्पतालों को सीधे उत्पादक से आपूर्ति की छूट है। कुछ अस्पतालों पर प्रतिबंध है। अदालत मित्र ने कोर्ट में रेमडेसिविर आपूर्ति की सूची पेश की। हाईकोर्ट ने इस मसले पर सरकार से जवाब मांगा।

सुनवाई के दौरान नर्सिंग एसोसिएशन ने दलील दी कि ऑक्सीजन की आपूर्ति में पहले सरकारी और बचने पर निजी अस्पतालों को ऑक्सीजन, सरकार की ये नीति भी ग़लत है। प्रदेश में कोरोना डेडीकेटेड श्मशानों में शवों के दाह संस्कार और सरकारी आंकड़ों पर उठे सवाल। हाईकोर्ट ने सरकार से कई बिंदुओं पर जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 17 मई को होगी।