दिल्ली दंगों की ‘बड़ी साजिश’ से जुड़े चर्चित मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी और सात अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। मुख्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर फैसला जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की पीठ ने सुनाया। सभी आरोपियों को जनवरी से सितंबर 2020 के बीच गिरफ्तार किया गया था।
हाई कोर्ट का निर्णय
जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 9 जुलाई 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। शरजील इमाम और उमर खालिद के साथ मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा की याचिकाओं पर भी अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था। सभी की याचिका खारिज कर दी गई। शरजील इमाम को 25 अगस्त 2020, और उमर खालिद को 14 सितंबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था। अन्य आरोपियों को अलग-अलग समय पर हिरासत में लिया गया।
क्या हैं आरोप?
अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि यह सिर्फ दंगों का मामला नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी, जिसका मकसद दंगों के माध्यम से भारत को बदनाम करना था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि यह वैश्विक स्तर पर भारत को बदनाम करने की साजिश थी और केवल लंबी कैद को जमानत का आधार नहीं माना जा सकता।
दंगों का विवरण
फरवरी 2020 में हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। यह हिंसा नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान भड़की थी। शरजील इमाम, खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं 2022 से हाई कोर्ट में लंबित थीं और समय-समय पर विभिन्न पीठों ने इन पर सुनवाई की।
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