अमृतांशी जोशी, भोपाल। PFI (Popular Front Of India) पर बड़ा खुलासा हुआ है। पीएफआई अपने हर सदस्य का विशेष डोजियर तैयार करता था। PFI कोटा की तर्ज पर श्योपुर को अपना गढ़ बनाना चाहता था। पीएफआई के निशाने पर गरीब आदिवासी संगठन थे। सदस्यों को कोच्चि और त्रिवेंद्रम में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता था। पीएफआई का मंसूबा जाहिर होने के बाद इंटेलिजेंस विंग और पुलिस PFI के बैठक और ठिकानों का पता लगाने में जुट गई है।
बता दें कि देश की सबसे बड़ी काउंटर टेररिस्ट एजेंसी एनआईए (NIA) ने 22 सितंबर की आधी रात अब तक का सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया था। एजेंसी के टारगेट पर थी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI। यह रेड देश के तमाम राज्यों में मारी गई थी। एनआईए (NIA) को इस एंटी टेरर सर्च ऑपरेशन में भारी कैश, डिजिटल डिवाइस, आपत्तिजनक डाक्यूमेंट्स और तेजधार हथियार बरामद हुए हैं। साथ ही इसमें 106 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। जिसमें कई नेता और पीएफआई सदस्य शामिल थे।
वहीं एनआईए और एमपी एटीएस ने इंदौर और उज्जैन से पीएफआई के 4 सदस्यों को गिरफ्तार था। भोपाल एटीएस थाने में आरोपियों पर आईपीसी 121ए, 153ए, 120बी, धारा 13[1बी], 18 यूएपीए एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोपियों के पास से बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइज़, देश विरोधी दस्तावेज और डिजिटल दस्तावेज बरामद हुए थे। आरोपियों का मकसद देश के लोगों को भड़का कर भारत में इस्लामिक शरिया कानून कायम करना था। सभी आरोपियों के खिलाफ पहले भी इंदौर और उज्जैन में अपराध दर्ज हो चुके हैं। अब्दुल करीम बेकरी वाला निवासी इंदौर पीएफआई का प्रदेश अध्यक्ष है। अब्दुल खालिद निवासी इंदौर पीएफआई का जनरल सेक्रेटरी है। मोहम्मद जावेद निवासी इंदौर पीएफआई का प्रदेश कोषाध्यक्ष है। वहीं जमील शेख निवासी उज्जैन पीएफआई का प्रदेश सचिव है।
एमपी से भर्ती सदस्यों को प्रशिक्षण के लिए कोच्चि और त्रिवेंद्रम भेजा जाता था
इधर गिरफ्तार कार्यकर्ताओं से पूछताछ में पता चला है कि पीएफआई अपने हर सदस्य का विशेष डोजियर तैयार करता था।डोजियर में 85 बिंदु शामिल थे। नाम पता से लेकर खाते संपत्ति गाड़ी का नंबर शरीर पर निशान सहित संपूर्ण जानकारी रहती थी। PFI कोटा की तर्ज़ पर श्योपुर को अपना गढ़ बनाना चाहता था। प्रदेश से सदस्यों को कोच्चि और त्रिवेंद्रम में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता था। प्रशिक्षण स्थल पर तीन स्तरीय सुरक्षा इंतज़ाम होती थी। प्रशिक्षण के दौरान संगठन की विचारधारा को अपनाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती थी। इंटेलिजेंस विंग और पुलिस PFI के बैठक और ठिकानों को पता लगाने में जुट गई है। जाँच टीम PFI फंडिंग करने वाले प्रतिष्ठानों को भी ढूंढने में जुटी है।
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